न्यूज11 भारत
रांची: झारखंड में हमेशा से प्रवासी पक्षी आते हैं. यह प्रदेश प्रवासी पक्षियों का पसंदीदा स्थान है. वर्ष 2022 नवंबर से ही प्रवासी पक्षियों का आना यहां शुरू हो गया था. अब कई जगहों से प्रवासी पक्षी बाहर से आ रहे है. इसी क्रम लोहरदगा में करीब 149 साल बाद दुर्लभ गरूड़ दिखे. इससे पहले वर्ष 1874 में इस प्रजाती का एक गरूड़ लोहरदगा में दिखा था. इस प्रजाति के गरूड़ को लेस्सर एडजुटेंड स्टॉक के नाम से जाना जाता है. जिसे लोहरदगा के स्थानीय भाषा में गांडागंदुर कहते हैं. लोहरदगा में बर्ड वाचिंग के दौरान फिलहाल पांच गरूड़ दिखे है, जो बेहद दुलर्भ प्रजाति में आते हैं.
लोहरदगा में जिस प्रजाति के गरूड़ को देखा गया है, उन्हें 2020 में लुप्तप्राय पक्षी की श्रेणी में शामिल किया गया है. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर स्टॉक, यानी सारस प्राजाति के इस पक्षी लेस्सर एडजुटेंड स्टॉक को लुप्तप्राय पक्षी के रूप में चिन्हित किया गया है. लोहरदगा में देखे गए सभी गरुड़ व्यस्क है. इनकी लंबाई तकरीबन 55 इंच होती है. यह पक्षी आम लोगों की नजर से दूर ही रहना पसंद करते हैं. नर और मादा एक जैसे ही दिखते हैं. मगर नर का शरीर मादा से भारी होता है.
झारखंड में इससे पहले यह गरुड़ दो बार दिखे हैं. एक बार वर्ष 2011 में साहिबगंज में दिखे थे. साहिबगंज के उधवा लेक बर्ड सेंचुरी में चार गरूड़ एक साथ देखे गए थे. इसके बाद वर्ष 2012 में सरायकेला खरसावां में इसी प्रजाति का एक गरूड़ देखा गया था. सरायकेला खरसावां के रंगामाटी में एक गरूड़ को देखा गया था. इसके बाद इस लुप्तप्राय प्रजाति के गरूड़ कई वर्षों बाद लोहरदगा में देखे गए है. वाइल्ड लाइफ बायोलॉजिस्टों की टीम बर्ड वॉच कर रही थी, तभी पांच गरूड़ देखे गए. टीम में अनिला लकड़ा, अविनाश कुमार और जया उरांव आदि शामिल थे. टीम के वाइल्ड लाइफ बायोलॉजिस्ट संयज ने स्थानीय मीडिया को बताया कि बर्ड वॉचिंग के दौरान लुप्तप्राय पांच गरूड़ देखे गए. यह गरूड़ नंदरी धाम के दलदली क्षेत्र में एक ऊंचे पेड़ पर बैठे थे.