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रांची: जीते जी तो बहुत लोग समाज की सेवा करते हैं लेकिन मरने के बाद भी कोई समाज के लिए अच्छा कर जाये तो ये मिसाल देने वाली बात होती है. ऐसा ही एक मिसाल कायम किया है डोरंडा के सुरेन्द्र प्रसाद ने. समाज की भलाई के लिए अपने जीवन में अनेकों काम करने वाले सुरेन्द्र प्रसाद ने अपने जीते जी ही अपना शरीर समाज को दान कर दिया था उनका कहना था कि मरने के बाद भी यदि मैं समाज के किसी काम आ सकूँ तो ये ही मेरी सच्ची गति और असल मोक्ष होगा. बता दें कि सुरेन्द्र प्रसाद की मृत्यु बीते सोमवार दी जनवरी को हो गयी थी और उसके एक दिन बाद यानि मंगलवार तीन जनवरी को परिजनों ने रिम्स को उनकी बॉडी सौंप दी. देह दान की ये घटना समूचे समाज के लिए एक प्रेरणा बन गयी है जिसने भी सुना उसने सुरेन्द्र बाबु को मन ही मन नमन किया. बता दें सुरेन्द्र प्रसाद के शरीर का उपयोग रिम्स में विद्यार्थियों को पढ़ने के काम में आयेगा.
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समाजसेवा में अग्रणी थे सुरेन्द्र प्रसाद
69 वर्षीय सुरेंद्र प्रसाद पेशे से हिंदुस्तान मोटर्स में काम करते थे. अपने रिटायर्मेंट के बाद पश्चिम बंगाल से वापस आकार रांची में अपने भाई के साथ डोरंडा स्थित मेकॉन कालोनी में रहते थे. उनकी मृत्यु के उपरांत परिजनों ने उनके देह को रिम्स के एनाटॅामी विभाग को सौंप दिया. जिससे मेडिकल के विद्यार्थी अपनी पढाई कर सकेंगे. अपने जीवन में सुरेन्द्र प्रसाद ने बढ़चढ़ कर सामाजिक कार्य किया. गरीबो की मदद से लेकर लगभग चार दर्जन लावारिश लाशों का दाह संस्कार किया था. इसी दौरान उनके मन में इच्छा जगी की मृत्यु उपरांत अपने शरीर को समाज को दान किया जाये जिससे आनेवाली पीढ़ी का भी भला हो. बताते चलें कि सुरेन्द्र प्रसाद के इस शरीर का उपयोग एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्रों को शारीरिक संरचना की शिक्षा देने में किया जाएगा. एनाटॉमी विभाग में छात्रों को शरीर का वाह्य, आंतरिक और सूक्ष्मदर्शी अध्ययन कराया जाएगा.