सरफराज कुरैशी/न्यूज़11 भारत
रांची: कोरोना संक्रमण में राज्य के विभिन्न जिलों, प्रखंडों, पंचायतों के ग्रामीण, शहरी क्षेत्रों में प्रभावित वैसे परिवारों की पहचान करके जिनके पास आपात स्थिति में दैनिक आवश्यकता की वस्तुएं खरीदने की आर्थिक क्षमता नहीं के बराबर है. उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए विधायक कोष से 25 लाख रुपए खर्च करने थे. मगर रांची के सात विस के विधायक और एक मनोनित विधायकों में चार फिसड्डी साबित हुए. मतलब इनके यहां एक भी जरूरतमंद परिवार नहीं मिला. चार विधायकों ने ही जिला प्रशासन को लाभुकों की सूची अनुशंसा के साथ भेजी. इसमें सबसे अधिक 1973 लाभुकों की अनुशंसा रांची विधायक सीपी सिंह ने की. इसके बाद कांके विधायक समरीलाल ने 1298, सिल्ली विधायक सुदेश महतो 1007 और तमाड़ विधायक विकास कुमार मुंडा ने 736 लाभुकों के नाम की अनुशंसा की थी. दूसरी ओर खिजरी विधायक राजेश कच्छप, हटिया विधायक नवीन जायसवाल, मनोनित विधायक ग्लेन जोसेफ गॉलस्टन के अलावा तत्कालीन विधायक बंधु तिर्की ने लाभुकों की सूची नहीं उपलब्ध कराई.
4232 लाभुकों को मिली है राशि
रांची जिला के चार विधायकों के द्वारा कुल 5014 लाभुकों की सूची अनुशंसा के साथ जिला को भेजी गई थी. जिसमें जांच के बाद 4232 लाभुकों के बीच 48.89 लाख रुपए की राशि बांटी गई. इस सूची में कई लाभुकों को जो राज्य के बाहर थे उनके खाते में 2 हजार रुपए देने की अनुशंसा की गई थी. जिसके तहत कुल 48.89 लाख रुपए की राशि का वितरण किया गया. सीपी सिंह ने 1973 लाभुकों की सूची अनुशंसा की थी. जिसमें जांच के बाद 1834 लाभुकों को 18.38 लाख रुपए का भुगतान किया गया. सुदेश महतो ने 1007 लाभुकों की अनुशंसा की थी. इतने लाभुकों के बीच 13.98 लाख रुपए भेजे गए. उसी प्रकार समरीलाल के 1298 लोगों की सूची में 655 लाभुकों को भुगतान हुआ. जबकि, विकास मुंडा के 736 लाभुकों की सूची में से सभी सही पाए गए. इनके बीच 9.97 लाख रुपए का भुगतान हुआ.
डीबीटी के माध्यम से लाभुकों को भेजी गई राशि
झारखंड राज्य में कोरोना वायरस से उत्पन्न महामारी के दौरान राज्य के विभिन्न जिलों ,प्रखंडों, पंचायतों के ग्रामीण, शहरी क्षेत्रों में प्रभावित वैसे परिवारों की पहचान करके जिनके पास वर्तमान में इस आपात स्थिति में दैनिक आवश्यकता की वस्तुएं जैसे खाद्य सामग्री दवाइयां इत्यादि क्रय करने की आर्थिक क्षमता नहीं के बराबर है. उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए विधायक कोष से 25 लाख रुपए खर्च करने की अनुमति दी गई थी. इसके तहत राज्य में रहने वाले प्रभावित परिवार को 1000 रुपए और दूसरे राज्य में फंसे वैसे मजदूर जिनके पास जीविकोपार्जन का कोई साधन नहीं है उन्हें 2000 रुपए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से दिया जाना था. मालूम हो कि 14 अप्रैल 2020 को ग्रामीण विकास विभाग ने संकल्प जारी किया था.