पदम श्री राम दयाल मुंडा की आज 82वी जयंती के मौके पर पूरा झारखंड उन्हें नमन कर रहा है. रामदयाल मुंडा ने कहा था कि जे नाची से बाची.
शिक्षाविद रांची विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, राज्यसभा सांसद रहे पदम श्री स्वर्गीयरामदयाल मुंडा को नमन किया जा रहा है. इस मौके पर स्वर्गीय रामदयाल मुंडा की पत्नी अमिता मुंडा, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ सत्यनारायण मुंडा और रामदयाल मुंडा शोध संस्थान के पूर्व निदेशक रणेंद्र कुमार ने श्रद्धांजलि दी है.
मोरहाबादी स्थित रामदयाल मुंडा पार्क में स्थित है. स्वर्गीय राम दयाल मुंडा की प्रतिमा शिक्षाविद कला संस्कृति से जुड़े कलाकार मुंडा समाज, के प्रतिनिधियों के द्वारा राम स्वर्गीय राम दयाल मुंडा को श्रद्धांजलि दी गई. स्वर्गीय राम दयाल मुंडा की पत्नी अमिता मुंडा ने श्रद्धांजलि देने के बाद उन्होंने कहा मात्री भाषा को बढ़ावा देने की बात करते थे और इसके साथ-साथ क्लास 1 से 5 तक झारखंड में मात्री भाषा की पढ़ाई पर जो देते थे. पदम श्री स्वर्गीय राम दयाल मुंडा व्यक्तित्व के धनी थे यह बातें रामदयाल मुंडा शोध संस्थान के पूर्व निदेशक डॉक्टर रणेंद्र कुमार ने कहा. गौरतलब है पदम श्री स्वर्गीय राम दयाल मुंडा अपनी मेहनत लगन से तमाड़ से निकलकर रांची रांची से निकलकर विश्व के कई देशों में झारखंड की कला संस्कृति को अपने कलाकारों के माध्यम से प्रस्तुत कर भारत का नाम रोशन किया था.
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ सत्यनारायण मुंडा ने कहा कि स्वर्गीय रामदयाल मुंडा एक राइटर, एक आर्किटेक्ट, भाषा विद, झारखंड के वाद्य यंत्रों को बनाना और बजाने के गुण उनमें निहित थे.
ऐसा व्यक्तित्व विरले मिलता है
रामदयाल मुंडा झारखंड के कलाकारों के लिए प्रेरणास्रोत रहे थे. अब जरूरत है उनके अच्छे गुणों को लेकर झारखंड के युवाओं को आगे आने की जरूरत है.
पदम श्री स्वर्गीय राम दयाल मुंडा को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी. हम अपने कला संस्कृति को नहीं छोड़े और आने वाली पीढ़ी को अपनी भाषा संस्कृति पर गर्व करते हुए आगे बढ़ना चाहिए.