रांची: शहर में होल्डिंग टैक्स समेत वाटर टैक्स व ट्रेड लाइसेंस बनाने की जिम्मेवारी रांची नगर निगम ने निजी कंपनी श्री पब्लिकेशन को सौंपी है. कंपनी को बेहतर सेवा देने के उद्देश्य से काम सौंपा गया था. लेकिन कंपनी ने होल्डिंग नंबर जारी करने से लेकर टैक्स जमा करने का काम पेचीदा कर दिया है. स्थिति यह है कि लोगों को इसके लिए पैरवी करनी पड़ रही है. ऐसे में अब श्री कंपनी को हटाने की मुहिम पार्षद ने शुरू कर दी है. वार्ड 26 के पार्षद अरुण कुमार झा ने कहा की कंपनी को वसूली का चस्का लग गया है. जो काम स्वेच्छा से एक सप्ताह में हो जाना चाहिए, उसे कंपनी चार माह में पैरवी के बाद करती है. पार्षद के इस मांग का समर्थन ओमप्रकाश, अर्जुन राम, दीपक लोहरा व निगम के अन्य पार्षदों ने भी किया है.
ऑनलाइन टैक्स भुगतान करना कठिन
पार्षदों की मानें तो कंपनी ने ऑनलाइन टैक्स भुगतान के प्रोसेस में गड़बड़ी कर दी है. लोग चाह कर भी ऑनलाइन टैक्स का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं. कंपनी ने यह फॉर्मूला इसलिए अपनाया है की ऑनलाइन टैक्स भुगतान होने पर कंपनी को कमीशन नहीं मिलता है. ऑफलाइन भुगतान होने पर कंपनी को मोटी रकम कमीशन के रूप में मिलती है.
अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा है खेल
पार्षदों के अनुसार इस काम में जितनी भागीदारी श्री कंपनी के अधिकारियों की है, उतनी ही नगर निगम के अधिकारियों है. निगम के अधिकारियों से शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती है.
पार्षदों ने कंपनी पर लगाये कई आरोप
होल्डिंग का आवेदन जमा करने के बाद कागजात की कमी का हवाला देते हुए उसे तीन चार माह तक रोका जाता है. बाद में जब चढ़ावा चढ़ाने या पैरवी पर उन्हीं कागजातों के आधार पर होल्डिंग नंबर जारी कर दिया जाता है. पार्षदों ने यह आरोप भी लगाया है की आमलोग अपने होल्डिंग के लिए भले ही चार माह तक दौड़ते हैं, लेकिन जमीन दलालों व बिल्डरों को जब जमीन की रजिस्ट्री करानी होती है, तो सेम डेट ही होल्डिंग नंबर जारी कर दिया जाता है.