न्यूज11 भारत
रांचीः आज यानी 16 नवंबर को हर साल राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत में प्रेस परिषद के औपचारिक कामकाज की शुरुआत 16 नवंबर 1966 से ही हुई थी. तभी से इसी आज के दिन राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में मान्यता दी गई है. देश में 16 नवंबर का दिन राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में मनाया जाता है.
देश में चार जुलाई, 1966 को प्रेस परिषद की स्थापना हुई. स्थापना के बाद प्रेस परिषद ने 16 नवंबर, 1966 से अपना औपचारिक कामकाज शुरू किया. इसके बाद से ही हर वर्ष 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में मनाया जाता है.
आज पत्रकारिता का क्षेत्र व्यापक हो गया है. पत्रकारिता जन-जन तक सूचनात्मक, शिक्षाप्रद एवं मनोरंजनात्मक संदेश पहुंचाने की कला एंव विधा है. समाचार पत्र एक ऐसी उत्तर पुस्तिका के समान है जिसके लाखों परीक्षक एवं अनगिनत समीक्षक होते हैं. अन्य माध्यमों के भी परीक्षक एंव समीक्षक उनके लक्षित जनसमूह ही होते है. तथ्यपरकता, यथार्थवादिता, संतुलन एंव वस्तुनिष्ठता इसके आधारभूत तत्व है, लेकिन इनकी कमियां आज पत्रकारिता के क्षेत्र में बहुत बड़ी त्रासदी साबित होने लगी है. पत्रकार चाहे प्रशिक्षित हो या गैर प्रशिक्षित, यह सबको पता है कि पत्रकारिता में तथ्यपरकता होनी चाहिए, लेकिन तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर, बढ़ा-चढ़ा कर या घटाकर सनसनी बनाने की प्रवृति आज पत्रकारिता में बढ़ने लगी है.
वैसे तो मीडिया को समाज का दर्पण एवं दीपक दोनों माना जाता है. इनमें जो समाचार मीडिया है, चाहे वे समाचारपत्र हो या समाचार चैनल, उन्हें मूलतः समाज का दर्पण माना जाता है. दर्पण का काम है समतल दर्पण का तरह काम करना ताकि वह समाज की हू-ब-हू तस्वीर समाज के सामने पेश कर सकें. लेतिन कभी-कभी निहित स्वार्थों के कारण ये समाचार मीडिया समतल दर्पण का जगह उत्तल या अवतल दर्पण का तरह काम करने लग जाते हैं. इससे समाज की उल्टी, अवास्तविक, काल्पनिक एवं विकृत तस्वीर भी सामने आ जाती है.