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रांचीः श्रीलंका की संसद पिछले 44 सालों में आज यानी 20 जुलाई को पहली बार त्रिकोणीय मुकाबले में सीधे तौर पर देश के शीर्ष पद (राष्ट्रपति) का चुनाव करेंगी. राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में कार्यकारी राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के अलावा दुल्लास अलहप्परुमा और वामपंथी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) नेता अनुरा कुमारा दिसानायके मैदान में हैं. इन तीनों नाम को सांसद ने 20 जुलाई को उम्मीदवारों के रुप में प्रस्तावित किया है. इन्हीं तीनों में से किसी एक को देश छोड़कर भागने वाले गोटाबाया राजपक्षे की जगह राष्ट्रपति चुना जाएगा.
प्रदर्शनकारियों के विरोध के बाद देश छोड़ भागे राजपक्षे
श्रीलंका में अबतक के सबसे भीषण आर्थिक संकट से त्रस्त नागरिकों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ दी थी. जिसके विरोध प्रदर्शनों के कारण राष्ट्रपति रहे गोटबाया राजपक्षे ने देश छोड़ दिया था. बाद वे उन्होंने देश के राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया और उसके बाद फिर से वे देश छोड़कर भाग गए है. राजपक्षे के राष्ट्रपति पद से इस्तीफा के बाद आज नए राष्ट्रपति के लिए आज चुनाव होगा.
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विक्रमसिंघे और अलहप्परुमा के बीच चल रहा मुकाबला
श्रीलंका के पूर्व विदेश मंत्री जीएल पीरिस ने 19 जुलाई को कहा कि सत्ताधारी पार्टी पोदुजाना पेरामुना (SLPP) पार्टी के अधिकतर सदस्य के अलावे विपक्ष गुट के नेता अल्हाप्पेरुमा को राष्ट्रपति पद और प्रमुख विपक्षी नेता सजित प्रेमदासा को प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं. हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि 73 वर्षीय विक्रमसिंघे का नाम राष्ट्रपति पद के लिए सबसे आगे हैं. माना जा रहा है कि इस चुनाव में मुख्य रूप से विक्रमसिंघे और अलहप्परुमा के बीच कड़ा मुकाबला चल रहा है. इन्हें अपनी पार्टी के अधिकतर नेताओं के अलावा विपक्ष का भी समर्थन मिलता दिख रहा है.
संसद में बहुमत हासिल करना आसान नहीं
विक्रमसिंघे राष्ट्रपति की चुनावी रेस में आगे चल रहे हैं. लेकिन देश की 225 सीट वाली संसद में बहुमत साबित करना आसान नहीं होगा. अगर श्रीलंका में आर्थिक हालात बेहद खराब होने से पहले अगस्त 2020 की संसदीय संरचना को देखें, तो 145 की संख्या वाली SLPP पार्टी से 52 सांसद टूट गए थे. इसके बाद पार्टी में 93 सदस्य बचे थे, जो बाद में 4 सदस्यों के लौटने के बाद 97 हो गए थे. 225 सदस्यीय सदन में विक्रमसिंघे को बहुमत हासिल करने के लिए 113 का समर्थन चाहिए. इसके लिए उन्हें 16 और वोटों की जरूरत है. जानकारी के अनुसार, विक्रमसिंघे को तमिल पार्टी के 12 वोटों में से कम से कम 9 पर भरोसा है. इसके अलावा वे मुख्य विपक्षी समागी जाना बालवेगया (SJB) के दलबदलुओं पर भी भरोसा कर रहे हैं. कहा जाता है कि इनमें से ज्यादातर को विक्रमसिंघे ने ही राजनीति में लाया हैं.
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इधर, देश के सरकार विरोधी लोकप्रिय आंदोलन 'अरागलया' से समर्थन मिल जाएगा, लेकिन अरगलया के एक नेता के अनुसार, रानिल विक्रमसिंघे राष्ट्रपति पद के लिए वैध उम्मीदवार नहीं हैं. हालांकि, सबसे निर्णायक कारण जो इसे विक्रमसिंघे के पक्ष में हैं, वह यह है कि हाल ही में एसएलपीपी सांसदों में से 70 से ज्यादा को आगजनी और हमलों का सामना करना पड़ा और एक की हत्या भी कर दी गई.