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रांची: संसद के आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार की नजर डाटा संरक्षण विधेयक सहित करीब एक दर्जन विधेयक पारित कराने पर है लेकिन विपक्ष के तेवर देख लगता नहीं कि सदन में उसकी राह आसान होगी. खबर है कि विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में राज्यपालों के कथित हस्तक्षेप, जांच एजेंसियों के दुरुपयोग, बेरोजगारी, किसानों की समस्या, मंहगाई, पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग जैसे मुद्दों पर विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आरएसपी सहित कई विपक्षी दल सत्र के दौरान महंगाई, बेरोजगारी के अलावा विपक्षी दलों के शासन वाले तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, केरल, झारखंड जैसे राज्यों में राज्यपाल द्वारा कथित तौर पर कामकाज में हस्तक्षेप करने के विषय को शीतकालीन सत्र में पुरजोर तरीके से उठायेंगे.
लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक के सुरेश ने बताया कि सत्र में उठाये जाने वाले मुद्दों को लेकर अगले एक-दो दिनों में पार्टी की रणनीति संबंधी बैठक होगी जिसमें विषयों को अंतिम रूप दिया जायेगा.संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भाषा को बताया कि हम सत्र में सुचारू रूप से कामकाज सुनिश्चित करना चाहते हैं. इसके बारे में छह दिसंबर को सर्वदलीय बैठक में विभिन्न दलों के साथ चर्चा होगी और विषय तय किये जायेंगे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि राज्यपालों द्वारा राज्य सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप करना संविधान एवं संघीय ढांचे की भावना के खिलाफ है और यह मुद्दा सत्र के दौरान उठाया जा सकता है. सुरेश ने कहा कि सत्र के दौरान महंगाई, बेरोजगारी के मुद्दे को प्रमुखता मिलेगी, साथ ही किसानों के मुद्दे भी प्रमुख होंगे क्योंकि सरकार ने उनसे किया वादा पूरा नहीं किया है. उन्होंने कहा कि हम कम से कम 10 विधेयक पारित कराना चाहते हैं. इस बारे में चर्चा होगी और यह सब निर्भर करेगा कि परिस्थितियां कैसी रहती हैं. यह पूछे जाने पर विपक्ष महंगाई, बेरोजगारी, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने के अदालती आदेश से जुड़े विषय को उठाना चाहेगा.