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मानसून पूर्व आंधी-तुफान ने बिजली आपूर्ति व्यवस्था कर दिया है ध्वस्त

केवल राजधानी में 24-24 घंटे तक बाधित हो रही है बिजली, अब भी राजधानी में जीरो कट का सपना है मुंगेरी लाल के हसीन सपने
मानसून पूर्व आंधी-तुफान ने बिजली आपूर्ति व्यवस्था कर दिया है ध्वस्त
जीएम रांची ने कहा-1200 किमी में महज साढ़े तीन सौ ही अब तक हो पाया अंडरग्राऊंड केबलिंग का कार्य, आंधी-पानी में निर्बाध बिजली के लिए सभी 33 और 11 केवी लाइन का यूजी होना जरूरी




कौशल आनंद/न्यूज़11 भारत




रांची: झारखंड बने 22 साल हो गए. हर सरकार में बिजली मंत्री और बिजली अफसर कम से कम राजधानी में जीरो कट का सपना दिखाते रहे, मगर अब तक यह बयान मुंगेरी लाल के हसीन सपने ही साबित हुए. झारखंड गठन के 22 साल में राजधानी में बिजली सुधार को लेकर दो महत्वपूर्ण परियोजना पर काम हुआ जिसमें आरपीडीआरपी और झारखंड संपूर्ण बिजली अच्छादन योजना (जसवे). इसके तहत करीब-करीब 1 हजार करोड़ से अधिक बिजली वितरण सुधार पर खर्च हुए मगर नतीजा सिफर ही साबित हुआ. केवल राजधानी की बात की जाए तो आंधी-पानी के बाद 24-24 घंटे बिजली से लोगो को वंचित होना पड़ रहा है. मजे की बात यह है कि अभी तो मानसून शुरू भी नहीं हुआ है, प्री-मानसून के तहत आंधी-पानी और बारिश हो रही है. अब यह समझ जा सकता है कि पूरे मानसून बिजली का क्या हाल होगा. 

 

आरपीडीआरपी योजना के तहत हुए कई बिजली सुधार के कार्य

 

आरपीडीआरपी योजना के तहत करीब 110 किमी अंडरग्राऊंड केबलिंग समेत 500 से अधिक नया ट्रांसफारमर लगाने, नया सबस्टेशन निर्माण, एलटी लाइन को एरियर बंच में बदलने सहित बिजली आपूर्ति सिस्टम दुरूस्त करने को लेकर कई काम हुए. मगर इसके बावजूद बिजली आपूर्ति सिस्टम मौसम की मार नहीं झेल पा रही है. 

 

जसवे योजना के तहत हुए अंडरग्राऊंड केबलिंग के कार्य, मगर नतीजा सिफर

 

जसवे योजना के तहत शहर में अंडरग्राऊंड केबलिंग के कार्य हुए, मगर नतीजा सिफर साबित हुआ. इस योजना के तहत 33 एवं 11 केवी के करीब 220 किलो मीटर से अधिक लाइन अंडरग्राऊंड हुए. मगर आंधी-पानी के मौसम में ये लाइन ब्रेक डाऊन होने से नहीं बच पा रहे हैं.

 


 

ये लाइन हुए अंडरग्राऊंड

 

33 केवी ये लाइन का काम पूर्ण होकर हो चुका है चार्ज 

 

-कांके-राजभवन 33 केवी लाइन

-कांके-मोरहाबादी 33 केवी लाइन

-मोरहाबादी-राजभवन 33 केवी लाइन

-नामकुम-चुटिया 33 केवी लाइन

-नामकुम-नामकुम ग्रिड 33 केवी लाइन

-कुसई-एयरपोर्ट 33 केवी लाइन

-हटिया ग्रिड-विधानसभा सबस्टेशन 33 केवी लाइन

-अरगोड़ा-हरमू 33 केवी लाइन चार्ज हो गया है. 

-कुसई-एयरपोर्ट 33 केवी लाइन पूर्ण हो चुका है, केवल चार्ज होना बाकी है

11 केवी लाइन के ये काम हुए पूर्ण

-सुजाता, मेन रोड, सर्किट हाऊस, न्यू मोरहाबादी, पारस टोली, हीनू एवं चडरी, शहीद चौक से अपर बाजार 11 केवी कार्य पूर्ण हो चुका है।

इन लाइनों का काम अभी है लंबित

-हटिया-अरगोड़ा, हटिया-हरमू 33 केवी यूजी केबल लाइन. यह काम सांई मंदिर पुन्दाग में रेलवे का एनओसी रूका हुआ था, मगर अब एनओसी मिल गया. 

-हटिया-पुन्दाग 33 केवी लाइन का काम नया सराय रेलवे क्रांसिंग पार करना है, इसका भी एनओसी रेलवे से मिल चुका है. 

-हटिया-आईटीआई 33 केवी लाइन भी भी एनओसी रेलवे से मिल चुका है. 

 

इन क्षेत्रों को फायदा होने का दावा किया गया था

 

रांची सदर इलाका, अरगोड़ा, हरमू, राजभवन इलाका, मोरहाबादी इलाका, सेवा सदन इलाका, कांके एरिया, नामकुम, सिदरौल, सदाबहार चौक इलाका,  हटिया-विधानसभा, मदर डेयरी, पंडरा, कुसई, एयरपोर्ट आदि के अतिरिक्त इन विधानसभा, अरगोड़ा, हरमू, कुसई, पॉलेटक्निक, मोरहाबादी, राजभवन, सदर, कोकर शहरी,  सर्किट हाऊस, सेवासदन, पुनदाग, आईटीआई, न्यू मोरहाबादी, हीनू, पारसटोली, हिनू चौक, मेकॉन चौक, सुजाता चौक, फिरयालाल चौक कचहरी चौक, शहीद चौक, अपर बाजार, सुजाता चौक, सिरम टोली चौक व आसपास के क्षेत्र को फायदा होने का दावा किया गया था. मगर नतीजा सबके सामने है. 

 

आखिर क्या है समाधान, जानिए बिजली अफसर से

 

राजधानी की लचर बिजली आपूर्ति व्यवस्था पर रांची जीएम पीके श्रीवास्तव से बात की गयी. उनसे पूछा गया कि आखिरकार आंधी-पानी का स्थाई समाधान क्या है? कब सुधरेंगे राजधानी के हालात? पीके श्रीवास्तव ने बताया कि आपलोग एमाऊंट पर क्यों जाते हैं कि इतना खर्च हुआ. काम क्या हुआ. यह जानने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आंधी पानी का स्थाई समाधान केवल और केवल सारे 33 एवं 11 केवी लाइन का अंडरग्राऊंड करना होगा. जिन दो योजनाओं की चर्चा हमेशा होती है. तो बता दें कि आरपीडीआरपी योजना के तहत महज 110 किमी लाइन ही ही अंडरग्राऊंड हुए. जसवे योजना के तहत करीब 200 किमी लाइन ही अंडरग्राऊंड हुए. जबकि पूरी रांची में करीब 12 किमी 33 एवं 11 केवी लाइन अब भी ओवर हेड हैं. यानि कि मतलब साफ है कि 33 केवी लाइन का अब भी 35 प्रतिशत और 11 केवी लाइन का अब भी 75 प्रतिशत अंडरग्राऊंड होना बाकी है. पीके श्रीवास्तव ने दावा किया कि जहां-जहां 33 एवं 11 केवी लाइन अंडरग्राऊंड हो चुके हैं, वहां फॉल्ट नहीं के बराबर हुआ.
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