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रांची में तीन दिन से कैंप किए हुए है प्रदीप संथालिया, मिल सकता है भाजपा का टिकट

2018 में भी राज्यसभा में थे भाजपा समर्थित उम्मीदवार, कुछ वोटों से हार गए थे
रांची में तीन दिन से कैंप किए हुए है प्रदीप संथालिया, मिल सकता है भाजपा का टिकट
न्यूज11 भारत




रांची: प्रदीप कुमार संथालिया. बचपन अभावों में बीता. जवानी की शुरुआत संघर्षों के साथ हुई. लेकिन अपने जुनून, जज्बे, लगन और मेहनत की बदौलत आज वे देश के बड़े उद्योगपतियों में शुमार हैं. अब वे राज्यसभा जाने की तैयारी में हैं. यह परिचय है धनबाद, कोलकाता और रांची के जाने-माने उद्योगपति प्रदीप कुमार संथालिया का. राज्यसभा चुनाव में संथालिया भाजपा समर्थित प्रत्याशी हो सकते हैं. 2018 में भी प्रदीप संथालिया भाजपा के उम्मीदवार थे. कुछ वोट की वजह से जीत नहीं पाए थे. 10 जून 2022 को राज्य सभा चुनाव झारखंड के दो सीटों पर होने वाला है. इसके लिए प्रदीप संथालिया रांची में पिछले तीन दिनों से कैंप किए हुए है. भाजपा के बड़े नेता और पदाधिकारियों से मिल रहे है. चर्चा है कि भाजपा में प्रदीप संथालिया की पकड़ मजबूत है, उन्हें इस बार भी राज्यसभा का टिकट मिल सकता है. 

 

जाने कौन हैं प्रदीप संथालिया, राजधनवार के है रहने वाले

 

प्रदीप संथालिया मूलरूप से गिरिडीह के राजधनवार के रहने वाले हैं. लेकिन 90 के दशक में वो कारोबार के सिलसिले में धनबाद आ गये और धैया में अपना आशियाना बनाया. धनबाद में उन्होंने आईसक्रीम पार्लर से कारोबार की शुरुआत की. बाद में सीमेंट और रियल स्टेट के कारोबार से जुड़े. फिलहाल उनके कारोबार में स्टील का धंधा जुड़ गया है. झारखंड के अलावा पश्चिम बंगाल में संथालिया का कारोबार बड़े पैमाने पर फैला है.

 

संथालिया का बीजेपी से पुराना रिश्ता 

 

प्रदीप संथालिया का बीजेपी से पुराना रिश्ता रहा है. 2015 में वो धनबाद में मेयर पद के लिए मैदान में उतरे थे और उस समय बीजेपी ने उनका परोक्ष रूप से समर्थन किया था. हालांकि बाद में वो वर्तमान मेयर शेखर अग्रवाल के लिए जीत का रास्ता साफ करते हुए चुनावी जंग से पीछे हट गये थे. बताया जाता है कि प्रदीप संथालिया की उसी एहसान का बदला चुकाने के लिए शेखर अग्रवाल ने राज्यसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार बनने में संथालिया की मदद की थी. 

 

धनबाद में मॉल कल्चर के जनक है संथालिया 

 

संथालिया का बचपन गिरिडीह के राजधनवार में गुजरा. पिता का नाम रामस्वरूप संथालिया है. उनके परिवार का पेट्रोल पंप का व्यवसाय रहा है. इनके पिता राजधनवार में पीडीएस की दुकान चलाते थे. प्रदीप की प्रारंभिक शिक्षा राजधनवार में ही ग्रहण की थी. स्कूली शिक्षा के बाद वे अपने पैरों पर खड़े होने के लिए 1990 में धनबाद आ गए. धनबाद में उन्होंने सबसे पहले साझेदारी में बैंक मोड़ में आइसक्रीम पार्लर का संचालन शुरू किया. पार्लर के संचालन के कुछ माह बाद ही उन्होंने एसीसी कंपनी की एजेंसी ली. उसके बाद उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. उसके बाद प्रदीप बिल्डिंग निर्माण के क्षेत्र में आ गए. धनबाद में मॉल संस्कृति लाने का श्रेय इन्हीं को जाता है.
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