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रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नसीहत दी है कि नेता और कार्यकर्ता अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें. किसी की बातों में नहीं आना है. विकास के मुद्दे पर डटे रहना है. कोई कितना भी भटकाने की कोशिश करें, वैसे लोगों के जाल में नहीं फंसना है. अपनी जुबान को इधर-उधर फिसलने नहीं देना है. आपको देश के विकास के विषयों पर ही टिके रहना है. उक्त बातें पीएम मोदी ने भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक को संबोधित करते हुए 20 मई को कही. उन्होंने बैठक में उपस्थित भाजपा के नेता और कार्यकर्ताओं से कहा कि हम सभी को मिलकर कोर मुद्दों पर काम करना है. हमें अपने उद्देश्य, लक्ष्य से भी भटकना नहीं है. जयपुर में आयोजित तीन दिवसीय भाजपा के मनन चिंतन शिविर की शुरूआत हुई. प्रधानमंत्री ने वर्चुअल तरीके से अटेंड किया. बैठक में पहले दिन पीएम मोदी आधा घंटे से भी ज्यादा समय तक नेताओं और कार्यकर्ताओं से रुबरू हुए. अपनी इस वर्चुअल मीटिंग से मोदी ने जीत का मंत्र दिया.
मीडिया में हो सकता है आपको जगह न मिले
बैठक में मोदी ने ईको सिस्टम की बात की. उन्होंने कहा, 'हम देखते हैं कि कुछ पार्टियों का ईको सिस्टम देश को मुख्य मुद्दों से भटकाने में लगा हुआ है. हमें कभी भी ऐसी पार्टियों के जाल में नहीं फंसना है. मैं जानता हूं कि आप अपने संबोधन में कहते हैं कि हमारी सरकार ने 2014 के बाद ये काम किए हैं, तो वह बात अखबार में पहले पेज पर नहीं छपेगी. आप जब आयुष्मान कार्ड और जन औषधि केंद्रों की बात करें, तो शायद मीडिया में न आएं. आप जब हर घर नल जल, डिजिटल क्रांति की बात करेंगे तो शायद मीडिया में जगह न मिले. पीएम मोदी ने कहा कि आप कोई अच्छा काम करेंगे तो हेडलाइन नहीं बनेगी, लेकिन इसके बाद भी हमें अपने मुद्दों पर टिके रहना है.
देश का सिस्टम बीमारी का शिकार हो गया है, इसी के साथ जीना होगा
पीएम मोदी ने भाजपा के कार्यकर्ताओं को एक टास्क भी दिया. उन्होंने कहा कि आज भाजपा के करोड़ों सदस्य हैं, लेकिन हमें ठहरना नहीं है. सदस्यता के अभियान को गति देनी है और आकांक्षी युवाओं को पार्टी में जोड़ना है. इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर जनता को जागरुक करने का भी आह्वान किया. पिछली सरकारों में हाल ऐसा था कि लोग मान चुके थे कि देश का सिस्टम बीमारी का शिकार हो गया है और हमें इसके साथ ही जीना होगा. देश की जनता ने 2014 में एक नया इतिहास लिखने का फैसला किया था. उसके बाद भाजपा देश को इस सोच से बाहर निकाल कर लाई है. देश की जनता काम होते देखना चाहती है, परिणाम चाहती है. राजनीतिक नफा-नुकसान से अलग मैं इसे जनता में आया सकारात्मक बदलाव मानता हूं.