चतरा/डेस्क:-कोयलांचल नगरी का तमगा टंडवा के कुछ लोगों को सुहावना भले लगे पर कोल वाहनों से हजारों लोगों की मौत से निराश्रित हुवे परिवारों की सुध किसी को नहीं है टंडवा-सिमरिया मुख्य सड़क में भयाक्रांत कर चुके कोल वाहनों के कब्जा से लगातार मारे जा रहे आम लोगों के परिजनों की सिसकियां व घटनाओं का दायरा बढ़ता हीं जा रहा है सर्वाधिक दुखद तो ये है कि मौत के बाद सड़क में शवों के सामने परिजनों का घंटों हृदयविदारक सिसकियां व मातम जिम्मेदारों को जल्द सुनाई हीं नहीं देता सभी अपनी जिम्मेदारी से कोसों दूर भागते नजर आते हैं।ठोस नीति नहीं होने का सर्वाधिक शिकार गरीब, लाचार व असहायों को आसमान मुआवजे के कारण शर्मनाक तरीके से शव उठाने में मातहतों द्वारा मोल भाव जैसा तरीका अपनाया जाता है विदित हो कि पिछले दो वर्ष पूर्व हीं उड़सु के समीप हुई दुर्घटना में मृतक को जहां 7 लाख रुपए नगद मुआवजा दिये गये थे वहीं उक्त के अनुरूप समरुप मुआवजे की मांग को लेकर अब तक की दर्जनों बैठक व आंदोलन का नतीजा खोखला साबित हुआ मई 2023 के प्रारंभिक सप्ताह में कोल वाहन से दंपत्तियों की दर्दनाक मौत पर प्रखंड क्षेत्र के पांडे मोड में पांच दिनों तक कोल वाहनों का चक्का जाम कर दिया गया जिस पर 9 मई 2023 को जिला प्रशासन के समक्ष त्रिपक्षीय बैठक में मृतकों के परिजनों को साढ़े चार लाख रुपए समरूप मुआवजा देने पर सहमति बनी आंदोलन समाप्त होते हीं चंद दिनों में निर्धारित नीति खोखला साबित हो गया दुर्भाग्यवश, आपने इस दौरान दिग्गज नेतृत्वकर्ता व स्थानीय जनप्रतिनिधियों के लुभावने घोषणाओं की बड़ी- बड़ी सुर्खियां भी देखी होगी जिसमें अबकी बार वार आरपार तथा जिला प्रशासन को आखिरी अल्टीमेटम जैसी चेतावनी टांय- टांय फुस्स हो गये.
आदमी जाये तो जाये कहां?सिमरिया आम सड़क किनारे स्थित किसुनपुर गांव के सियानी उर्फ मधवापुर से वृंदा मोड़ तक का क्षेत्र में सैकड़ों जिंदगियां कोल वाहनों ने अब तक खा लिया है स्थानीय लोग आवागमन में हमेशा भयाक्रांत रहते हैं, बावजूद गति नियंत्रण के लिए कोई प्रबंध तक नहीं किया गया वैसे जगह सुनसान होने का अक्सर हीं कोल वाहन चालक गाड़ी लेकर फरार होने का फायदा उठाते रहे हैं लोगों की मानें तो शुक्रवार देर शाम मानवीय मूल्यों को भूलकर वीभत्स दर्दनाक हादसा होने के बावजूद कोल वाहन लेकर फरार होने वाले चालक पर गंभीर आपराधिक मुकदमा दर्ज होनी चाहिए जबकि अल्टीमेटम या समान मुआवजा नीति की विफलताओं पर जनप्रतिनिधियों, कोल प्रबंधकों व जिला प्रशासन को शीघ्रता से आत्मचिंतन करनी चाहिए.