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रांची: प्रदेश कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की और मांडर से तत्तकालीन विधायक बंधु तिर्की आज दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले. इस दौरान बंधु तिर्की के करीबी और प्रदेश कांग्रेस कार्यालय प्रभारी अमूल्य नीरज खलखो शामिल थे. दोनों नेताओं के बीच करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई. बंधु तिर्की सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बंधु तिर्की ने मांडर सीट पर चर्चा की. सोनिया गांधी को झारखंड हाईकोर्ट में सीबीआई के निर्णय को लेकर भी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट ने सीबीआई के निर्णय को लेकर एलसीआर रिपोर्ट मांगी है. इसके लिए छह सप्ताह का समय दिया गया है. जिसकी समायावधि 6 जून को समाप्त हो रही है. कोर्ट में जैसे ही यह रिपोर्ट आ जाएगी, हमलोग कोर्ट से मेंशन करते हुए सुनवाई की मांग करेंगे. सोनिया गांधी से मांडर सीट को लेकर यह भी चर्चा हुई कि अगर हाईकोर्ट का निर्णय उनके खिलाफ जाता है तो फिर वे अपने किसी को अपना उत्तराधिकारी के रूप में चयन करके आलाकमान को सूचित कर देंगे. तिर्की ने सोनिया गांधी को राज्य की ताजा राजनीतिक हालात पर भी चर्चा की और जानकारी दी. साथ ही साथ पीसीसी के सांगठनिक गतिविधियों और कार्यक्रमों की भी जानकारी दी.
झारखंड में आदिवासी विधायक तो हो जा रहे हैं, मगर आदिवासी कांग्रेस से दूर होते जा रहे हैं
सोनिया गांधी से तिर्की ने राज्य में आदिवासी इश्यू पर अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि यूपीए शासन के दौरान आदिवासियों के संरक्षण और लाभ के लिए कई योजनाओं लायी गयी. मगर राज्य में उसका फायदा नहीं मिल रहा है. झारखंड में आदिवासियों के मामलों में संगठन में जैसा काम होना चाहिए, वह नहीं हो रहा है. जबकि भाजपा कुछ ऐसा कर देती है कि आदिवासी उसके पक्ष में हो जाते हैं. आहिस्ता-आहिस्ता आदिवासी कांग्रेस से दूर होते जा रहे हैं. वनाधिकार कानून, लारा कानून भी झारखंड में बेअसर है. विधायक तो पैदा हो जाते हैं मगर नेता नहीं. झारखंड प्रदेश में आदिवासियो को पुन: अपनी ओर करने के लिए संगठन और सरकार को काम करना होगा.
6 जून के बाद तय होगा कि खुद बंधु लड़ेंगे चुनाव या उनका उत्तराधिकारी
बतातें चलें कि बंधु तिर्की ने हाईकोर्ट में सीबीआई के आदेश का हाईकोर्ट में चुनौती दी है. जिसको लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी और कोर्ट ने छह सप्ताह में एलसीआर रिपोर्ट मांगी थी. तिर्की ने कहा कि उन्हें सीबीआई द्वारा जबरन फंसा गया है. अगर 6 जून के बाद हाईकोर्ट में सुनवाई होती है और फैसला बंधु तिर्की के पक्ष में जाता है तो पुन: खुद बंधु तिर्की चुनाव लड़ सकते हैं और फैसला उनके खिलाफ जाता है तो फिर बंधु तिर्की अपने किसी उत्तराधिकारी को चुनाव मैदान में उतारेंगे. यह उत्तराधिकारी कौन होगा, इसको लेकर अभी बंधु तिर्की चुप्पी साधे हुए हैं. लेकिन चर्चा यह है कि तिर्की अपने बड़ी बेटी को उत्तराधिकारी के रूप में चुनाव मैदान में उतार सकते हैं.