सीनियर नेशनल तीरंदाजी चैंपियनशिप में कंपाउंड इवेंट, टोक्यो पैरालंपिक में भारतीय दल के थे हिस्सा
आसिफ नईम/न्यूज-11 भारत
रांची: कौन कहता है कि आसमां में सुराग नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों...! इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है ओलंपियन तीरंदाज जम्मू-कश्मीर के राकेश कुमार ने. वे अपने जज्बे, जुनून और कड़ी मेहनत की बदौलत सीनियर नेशनल तीरंदाजी चैंपियनशिप में सामान्य वर्ग के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को आज यानी बुधवार को जमशेदपुर में टक्कर देंगे.
जमशेदपुर में चल रहे 40वीं सीनियर नेशनल तीरंदाजी चैंपियनशिप में राकेश को कंपाउंड स्पर्धा में व्हीलचेयर में निशाना साधकर मेडल जीतने की जद्दोजहद करेंगे. भारत के राकेश कुमार टोक्यो में संपन्न पैरालंपिक खेलों की तीरंदाजी प्रतियोगिता के पुरुष व्यक्तिगत कंपाउंड के क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किए थे. क्वार्टर फाइनल में वे चीन के अल झिनलियांग गए थे. सीनियर नेशनल में दूसरी बार खेल रहे हैं. पूरे भारत वर्ष में राकेश का रैंकिंग 9 है.
राकेश के कोच कुलदीप कुमार से खास बातचीत
सड़क हादसे ने दिव्यांग बना दिया
जम्मू-कश्मीर के कटरा के छोटे से गांव नदाली के राकेश कुमार का सड़क हादसा 2009 में हुआ था. उनकी गाड़ी पहाड़ से निचे गिर गई थी, हादसे में राकेश को जबरदस्त चोट आई थी. इस हादसे के बाद उनका स्पाइनल (रिढ़ ही हड्डी) कॉर्ड टूट गया था. वहीं, शरीर के निचे का हिस्सा पूरी तरह से डैमेज हो गया, वो चल नहीं सकते थे. टांगे पूरी तरह से बेकार हो गई. परिवार का पालन पोषण मुश्किल हो गया था. जिदंगी से तंग आकर तीन बार आत्माहत्या करने की कोशिश की, लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था.
कोच कुलदीप के साथ राकेश
प्लंबर को कोच ने अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बना दिया
पेशे से प्लंबर राकेश की जिदंगी में वर्ष 2017 नया मोड़ लेकर आया. जब श्राइन बोर्ड स्पोर्ट्स स्टेडियम के कोच कुलदीप कुमार राकेश से जाकर मिले. उस समय राकेश के जीवन ने नया मोड़ लिया. कुलदीप ने राकेश को प्रोत्साहित किया. फिर स्टेडियम में आने को लेकर न्योता दिया. राकेश मुश्किल से स्टेडियम पहुंच पाते थे. राकेश के छोटे भाई दीप कुमार बीच-बीच में उन्हें स्टेडियम छोड़ आया करते थे और साथ ले आया करते थे.
माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने की मदद
साल 2018 में पहली बार पैरा आर्चीज का ट्राई टेस्ट हरियाणा रोहतक में हुआ. जिसमें राकेश नंबर वन रहें. जिसके बाद ओलंपिक पोडियम स्कीम के तहत उन्हें 50 हजार हर महीने सरकार की तरफ से मिलना शुरू हुआ. राकेश पर 6 लाख का कर्ज था, जो धीरे-धीरे चुकता हो गया. वहीं, माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने अत्याधुनिक उपकरण तीरंदाजी सेट दिए. वहीं, राकेश को ओलंपियन प्लेयर बनाने का सारा श्रेय कोच कुलदीप कुमार को जाता है.
ओलंपियन राकेश की उपलब्धियां
2018 इंडोनेशिया: एशियन गेम्स में 10वां स्थान
2018 चेक रिपब्लिक: यूरोपियन आर्चीज वल्ड रैंकिंग टूर्नामेंट में टीम गोल्ड मेडल
2019 दुबई: 5वें फैजा कप में कांस्य जीता
2019 नीदरलैंड: इंटरनेशनल प्रतियोगिता में चौथा स्थान
2021 जापान: पैरा ओलिंपिक में क्वार्टर फाइनल तक का सफर