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रांची : नेशनल इंस्टीट्यूट आफ कम्युनिकेबल डीसीज (एनआईसीडी) की डॉ. वसीला जसत ने कोरोना को लेकर बड़ा खुलासा किया है. डॉ. जसत ने बताया है कि कोरोना महामारी के दौरान पहले बच्चे कोविड से कम प्रभावित हुए थे. अस्पताल में इलाज के लिए कम बच्चे अस्पताल पहुंचे. मगर महामारी की तसरी लहर बच्चों के स्वास्थ्य के लिए बेहतर नहीं है.
कोरोना महामारी की तीसरी लहर में पांच साल से कम उम्र के अधिक बच्चे अस्पताल में भर्ती हुए. 15 से 19 वर्ष की आयु के किशोरों को भी अस्पतालों में भर्ती करवाना पड़ा. अब चौथी लहर की शुरुआत में सभी आयुवर्गों में मामले तेजी से बढ़ता दिख रहा है, जिसमें पांच साल से कम उम्र के बच्चे विशेष तौर पर संक्रमित हो रहे हैं.
डॉ. जसत ने कहा है कि संक्रमण के मामले अब भी बच्चों में ही सबसे कम हैं. सर्वाधिक मामले 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में हैं. उसके बाद सबसे अधिक मामले पांच साल से कम उम्र के बच्चों में हैं. पांच से कम उम्र के बच्चों को अस्पतालों में भर्ती करने के मामले बढ़े हैं, जबकि पहले ऐसा नहीं था.
एनआईसीडी के डॉ माइकल ग्रूम का कहना है कि मामले बढ़ने को लेकर तैयारी के महत्व पर विशेष जोर की जरूरत है. जिसमें बच्चों के लिए अस्पताल में अलग से बेड और अस्पताल कर्मियों की संख्या को बढाया जाना चाहिए.