सुप्रीम कोर्ट ने कहा- राज्यों के हर काम में हस्तक्षेप कोर्ट का काम नहीं, सीपी चौधरी की याचिका हुई खारिज
न्यूज़11 भारत
रांची: राज्य में निवास करने वाले बहुसंख्यक ओबीसी समुदाय को आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में चल रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ओबीसी को आरक्षण नहीं देने के राज्य सरकार के फैसले को आजसू सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट साफ कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हर मुद्दे पर राज्य सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप करना सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है और याचिका को खारिज कर दिया. राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में दलील रखी गयी कि यह पंचायत चुनाव में OBC आरक्षण का मामला काफ़ी लंबे समय से पेंडिंग है. इस आधार पर चुनाव पूरा नहीं किया जा सकता है या फिर चुनाव में देरी नहीं की जा सकती है.
भाजपा और आजसू सरकार पर रही लगातार हमलावर
मालूम हो कि राज्य के पंचायत चुनाव में ओबीसी को आरक्षण नहीं देने को लेकर सदन से लेकर सड़क तक विपक्ष सरकार पर हमलावर है. भाजपा आए दिन राज्य सरकार को ओबीसी विरोधी बताकर हमले कर रही है और इस मुद्दे को पंचायत चुनाव में भुनाने में काम कर रही है. इसको लेकर भाजपा नेताओं ने तरह-तरह के बयान और दूसरे राज्यों का उदाहरण तथा दलीलें भी रख रही थी. भाजपा चिल्ला-चिल्ला कर कहती रही है कि 54 प्रतिशत ओबीसी समाज को धोखे में रखकर पंचायत चुनाव कराए जा रहे हैं. राज्य सरकार ओबीसी समाज को राजनीतिक पंगु बनाना चाहती है. ओबीसी समाज आने वाले दिनों में झामुमो और कांग्रेस की सरकार को उखाड़ फेंकने का कार्य करेगा. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने समस्त पिछड़ा समाज से यह अपील करते हुए कहा था कि पंचायत चुनाव में कांग्रेस, झामुमो और राजद समर्थित उम्मीदवारों के पक्ष में वोट ना डालें और इन पिछड़ा वर्ग विरोधी पार्टियों को सबक जरूर सिखाएं। ताकि भविष्य में ये दल पिछड़ा वर्ग की अनदेखी करने की हिम्मत न करें.उन्होंने ये भी कहा था कि झारखंड की हेमंत सरकार ने पिछड़े वर्ग की पीठ में छुरा घोंपने का काम किया है। पर्याप्त समय रहने के बावजूद सरकार ने जानबुझ कर पिछड़ों का सर्वे नहीं कराया, जिसका नतीजा हुआ कि इस बार के पंचायत चुनावों में पिछड़ों के लिए आरक्षण नहीं हो पाया है. उन्होंने ये भी कहा था कि 2019 में झारखंड में हमारी भाजपा सरकार में पिछड़ों का सर्वेक्षण कार्य शुरू किया गया था। परंतु हेमंत सरकार के आते ही कांग्रेस, झामुमो और राजद ने सुनियोजित साजिश के तहत सर्वेक्षण को बंद करा दिया। आज उसी के कारण पंचायत चुनाव में पिछड़ा वर्ग को भारतीय संविधान से मिलनेवाले आरक्षण से वंचित कर दिया गया है। यह पूरे पिछड़ा वर्ग के साथ विश्वासघात है.
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने किया स्वागत, कहा-नोटिफिकेशन के पहले सरकार को विचार करनी चाहिए था
इधर अब भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर नपा-तुला बयान दिया है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले से भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश न अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा है कि चुनाव के नोटिफिकेशन करवाने से पहले राज्य सरकार को इस पर विचार करनी चाहिए थी.