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रांचीः पाकिस्तान के पूर्व सेनाध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का दुबई के एक अस्पताल में आज निधन हो गया. पाकिस्तान मीडिया जरिए सामने यह खबर सामने आई है. जिसमें बताया गया है कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उनका इलाज दुबई के एक अस्पताल में किया जा रहा था. वे करीब 79 साल के थे और दुबई में ही इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली. रिपोर्ट्स के मुताबिक, वे मुशर्रफ अमाइलॉइडोसिस नामक बीमारी से ग्रसित थे.
परिवार ने किया था ट्वीट
इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति की हेल्थ से संबंधित जानकारी देते हुए उनका परिवार ने ट्वीट करते हुए कहा था. कि वे अमाइलॉइडोसिस नाम की बीमारी से जूझ रहे हैं, जिसके चलते उनके सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया है. अब रिकवरी की भी कोई गुंजाइश बाकी नहीं है. पिछले साल 2022 के 10 जून को भी परिवार ने ट्विटर पर एक बयान जारी किया था. जिसमें कहा गया था कि पूर्व सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ की स्थिति लगातार तबीयत बिगड़ती ही जा रही है उनकी रिकवरी नहीं हो सकती है. हालांकि, परिवार ने यह भी कहा था कि उनको वेंटिलेटर पर नहीं रखा गया हैं. परिवार ने उनके स्वास्थ्य के लिए लोगों से दुआ करने की अपील की थी.
गंभीर बीमारियों का एक समूह है अमाइलॉइडोसिस
वहीं इस बीमारी के बारे बताते हुए ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस ने बताया है कि अमाइलॉइडोसिस दुर्लभ और गंभीर बीमारियों का एक समूह है. जिसमें इंसान के शरीर में अमाइलॉइड नाम का असामान्य प्रोटीन बनने लगता है. यह दिल, किडनी, लिवर, नर्वस सिस्टम, दिमाग आदि अंगों में जमा होने लगता है, जिस वजह से इन अंगों के टिशूज ठीक से काम नहीं कर पाते है.
जानकारी के लिए आपको ब0ता दें, साल 1999 में सफल सैन्य तख्तापलट के बाद परवेज मुशर्रफ दक्षिण एशियाई राष्ट्र (पाकिस्तान) के दसवें राष्ट्रपति बने थे. परवेज मुशर्रफ ने 1998 से 2001 तक 10वें CJCSC और 1998 से 2007 तक 7वें शीर्ष जनरल के रूप में भी कार्य किया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुशर्रफ ने सिर्फ 18 साल की उम्र में साल 1961 में काकुल में पाकिस्तान सैन्य अकादमी में प्रवेश किया था.
1965-1971 के बीच भारत-पाकिस्तान संघर्ष
बता दें, द्वितीय कश्मीर युद्ध में (खेमकरण सेक्टर के लिए लड़ाई के दौरान) मुशर्रफ का पहला युद्धक्षेत्र अनुभव एक तोपखाना रेजिमेंट के साथ था. इस संघर्ष के दौरान लाहौर और सियालकोट युद्ध क्षेत्रों में भी मुशर्रफ ने भाग लिया था. इतना ही नहीं वीरता के लिए उन्हें इम्तियाज़ी सनद पदक भी मिला. वहीं साल 1965 के युद्ध के खत्म होने के तुरंत बाद उन्हें कुलीन विशेष सेवा समूह में शामिल हो किया गया. इस बीच 1966 से 1972 तक उन्होंने SSG में सेवा अपनी सेवा दी.
करगिल युद्ध का प्रमुख रणनीतिकार थे मुशर्रफ
कहा जाता है कि करगिल संघर्ष (Kargil War) के पीछे तत्कालीन आर्मी चीफ परवेज मुशर्रफ ही प्रमुख रणनीतिकार थे. रिपोर्टस के मुताबिक, उन्होंने ही 1999 में मार्च से मई तक करगिल जिले में गुप्त घुसपैठ का आदेश दिया था. जिसके बाद भारत को जैसे ही इसकी लगी. दोनों देश यानी भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया. हालांकि इस युद्ध में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी. हालांकि राष्ट्रपति नवाज शरीफ ने बयान देते हुए कहा था कि उनकी जानकारी के बिना ही यह ऑपरेशन किया गया था. लेकिन करगिल ऑपरेशन से पहले और बाद में उन्हें सेना से मिली ब्रीफिंग का ब्योरा सार्वजनिक हो गया था.