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रांची: अब तक आपने जामताड़ा के ठगों को जाना और सुना था. जो कि पारंपरिक ओटीपी-आधारित तरीकों के माध्यम से आपका डेटा या पैसा चुराता रहा है. अब इस क्षेत्र में भी डेवलपमेंट हुई है. बता दें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित टूल्स के जरिए हैकिंग के नए युग की शुरुआत हो गई है. जालसाजों का अब एक नया ग्रुप फल-फूल रहा है.
यह समूह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से लेकर यूपीआई-आधारित धोखाधड़ी और नकली गैम्बलिंग वेबसाइट चलाते हैं. इतना ही नहीं अब एआई चैटबॉट चैटजीपीटी के जरिए भी आपकी गाढ़ी कमाई को लूटने के लिए नई तकनीक का उपयोग हो रहा है. इसी कड़ी में एक महिला जालसाज ने पिछले हफ्ते एक महिला से 27 लाख रुपये की ठगी की थी, जिसने व्हाट्सऐप पर डिजिटल मार्केटिंग में निवेश पर अच्छा रिटर्न देने का वादा किया था.
पीड़िता ने दर्ज किए अपने FIR में कहा यूट्यूब अकाउंट्स को लाइक और सब्सक्राइब करने का काम था. दिल्ली पुलिस की क्राईम ब्रांच ने पिछले हफ्ते सिम कार्ड प्राप्त करने, बैंक खाते खोलने और लोन लेने के लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस सहित फर्जी दस्तावेजों में शामिल रैकेट का भंडाफोड़ किया था. पूछताछ में पुलिस ने पाया कि इन दस्तावेजों को तैयार करने और उनका दुरुपयोग करने के लिए गिरोह ने सामान्य व्यक्तियों का इस्तेमाल किया जिनके पास कोई आईडी दस्तावेज नहीं है.
इधर साइबर-सुरक्षा एक्सपर्ट राजशेखर राजाहरिया ने एक नए प्रकार की ऑनलाइन धोखाधड़ी का खुलासा किया है. उन्होने बताया कि हर दिन शाम 5 बजे से कई सट्टा (जुआ) वेबसाइट गूगल पर ट्रेंड करने लगती हैं, ये वेबसाईट सट्टा खेलने पर तुरंत पैसा देने की पेशकश करती हैं जोकि 100 रुपये से शुरू होकर हजारों में जाता है.
राजहरिया ने बताया ये वेबसाइटें अधिकतर शाम को दिखाई देने लगती हैं और हर वेबसाइट मुनाफे की गारंटी देती है. ये जुआ वेबसाइट टियर 1 और 2 शहरों के नामों के साथ चलाई जा रही हैं जैसे दिल्ली सट्टा किंग, दिसावर गली सट्टा, श्री गणेश चार्ट, सट्टा किंग दिल्ली बाजार और अन्य. आगे बताया कि जो लोग विभिन्न यूपीआई भुगतान प्लेटफार्मों का उपयोग करके सट्टा लगाते हैं, उन्हें बदले में कुछ नहीं मिलता है क्योंकि जीतने वाला पुरस्कार हमेशा उन लोगों को जाता है जिन्हें इन वेबसाइट ने पहले ही चुन लिया है.
जानकारी देते हुए राजहरिया ने कहा, देश में हजारों ऐसी नकली जुआ वेबसाइटें चल रही हैं. यही नहीं उनके पास टेलीग्राम ग्रुप भी हैं और प्रत्येक ग्रुप में 25,000 से अधिक सदस्य हैं. यह अनुमान लगाना असंभव है कि कौन सी वेबसाइट असली है या कौन सी नकली है और लगभग 90 प्रतिशत लोग जो अपना पैसा लगाते हैं उन्हें कुछ भी नहीं मिलता है.