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झारखंड


गैर-आदिवासी से विवाह करने पर नहीं मिले आरक्षण का लाभ : आदिवासी समुदाय

केंद्र सरकार को सौंपा जाएगा मांग पत्र
गैर-आदिवासी से विवाह करने पर नहीं मिले आरक्षण का लाभ : आदिवासी समुदाय

रांची : गैर आदवासी से विवाह के करने के बाद आदिवासी महिला और विवाह के बाद उसके बच्चों को एसटी लाभ से वंचित किया जाना चाहिए. गैर आदिवासी द्वारा ऐसा काम केवल आदिवासियों को मिल रही सुविधा का लाभ उठाने एवं जमीन हड़पने के लिए किया जा रहा है. यह मांग राष्ट्रीय आदिवासी इंडिजिनियस धर्म समन्वय समिति की है, जो मध्य प्रदेश में बैठक के दौरान उठी.


बनेश्वर भगत की अध्यक्षता में हुई बैठक में कहा गया कि वर्तमान समय में आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों पर एक षड्यंत्र के तहत हमला हो रहा है. देश के विभिन्न राज्यों में बड़े पैमाने पर गैर आदिवासी पुरुष द्वारा आदिवासी महिला से विवाह कर, उसे अपनी दूसरी या तीसरी पत्नी बनाकर आदिवासियों के संवैधानिक हकों को छीना जा रहा है. आदिवासियों के लिए आरक्षित विभिन्न प्रकार के पदों सरकारी नौकरियों एवं उनके जमीनों को हड़पा जा रहा है. यह एक साजिश है, जिसके तहत गैर आदिवासी उसके नाम से आर्थिक राजनीतिक और सामाजिक लाभ प्राप्त कर सके, इसलिए गैर आदिवासी लड़के के साथ विवाह करने वाली आदिवासी लड़की को अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं माना जाए. अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को मिलने वाले सभी प्रकार के लाभों से उस लड़की को वंचित किया जाए. 

 

आरक्षित सीट पर लड़ते हैं चुनाव, पदों पर करते हैं कब्जा

 

आदिवासियों के लिए आरक्षित मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, प्रमुख,पार्षद, जिला परिषद के अध्यक्ष समेत अनेक पदों पर अपनी दूसरी या तीसरी पत्नी को आदिवासी दर्शाकर आरक्षण का लाभ लेता है. इन सभी पदों पर कब्जा कर लेता है वह अपने दूसरी या तीसरी पत्नी का नाम से जमीन, भवन, फार्म हाउस, बैंक लोन, पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी लेता है और उसका मालिक बन जाता है. 

 

केंद्र से की जाएगी ये मांग

 

सरकारी नौकरियों में भी गैर आदिवासियों के द्वारा अपनी दूसरी या तीसरी पत्नी और उससे उत्पन्न बच्चों को आदिवासी दर्शा कर आदिवासियों के नौकरियों को हड़पा जा रहा है, जिसके कारण मूल आदिवासी अपने संवैधानिक अधिकारों से वंचित हो जाते हैं यह एक गंभीर मामला है और इस पर रोक लगनी चाहिए. इस मुद्दे पर सभी आदिवासी समुदायों के बीच सहमति बनी कि इस विषय को केंद्र के समक्ष रखा जाएगा. गैर आदिवासी पुरुष से विवाह करने वाली आदिवासी महिला को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी से हटाने की मांग की जाएगी.

 


 

धर्म कोड को लेकर केंद्र सरकार को सौंपा जाएगा मांग पत्र

 

बैठक में तय हुआ कि आदिवासी धर्म कोड को लेकर संगठन का एक प्रतिनिधिमंडल भारत सरकार प्रधानमंत्री, विभिन्न मंत्री एवं रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया को मांग पत्र सौंपा जाएगा. सेमिनार में झारखंड से देवकुमार धान, हरदयाल भगत के अलावे मध्य प्रदेश के एन.आर.भूआर्या, आर.एस.कोकोडिया, विनोद, गेंदालाल वाइके, विशाल सिंह मरावी, सुरेश भगत, राधेश्याम भगत, निर्मला प्रधान एवं गुलजार सिंह मरकाम ने हिस्सा लिया.

 
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