न्यूज 11 भारत
रांची : झारखंड हाईकोर्ट द्वारा स्टे ऑडर्स को वैकेट किए जाने बाद एनआईए द्वारा बड़ी कार्रवाई की बात समने आ रही है. एनआईए की टीम कोलकाता स्थित आवास से आधुनिक स्टील के पूर्व प्रबंधक निदेशक महेश अग्रवाल को अपने साथ ले गई. अभी इसकी आधरिक पुष्टी नहीं हुई है. जानकारी के अनुसार महेश अग्रवाल टेरर फंडिंग मामले में पहले से ही एनआईए के रडार पर थे. इनकी गिरफ्तारी के लिए एनआईए की विशेष अदालत ने वारंट जारी किया था. टेरर फंडिंग मामले में महेश अग्रवाल एनआईए को अहम जानकारी उपलब्ध करा सकता है. टेरर फंडिंग से महेश अग्रवाल का नाम जुडने के बाद आधुनिक पावर एंड नेचुरल रिसोर्सेज लिमिटेड, पदमपुर के प्रबंधन ने महेश अग्रवाल को प्रबंध निदेशक के पद से भी हटा दिया था. महेश अग्रवाल की जगह राधवेंद्र कुमार सिंह को पूर्व प्रबंधक निदेशक नियुक्त कर जानकारी सार्वजनिक की गई थी.
आधुनिक पावर एंड नेचुरल रिसोर्सेज लिमिटेड के एमडी को एनआईए ने 10 जनवरी को एक माओवादी समर्थित समूह तृतीया प्रस्तुति समिति की गतिविधियों के लिए कथित रूप से वित्त पोषण करने के आरोप में एक आरोप पत्र में आरोपी के रूप में आरोपित किया था. मामला, जो 2016 का है झारखंड के कोयला समृद्ध मगध् आम्रपाली कोल प्रोजेक्ट सहित अन्य क्षेत्रों में व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों और ठेकेदारों से नक्सल समूहों द्वारा जबरन वसूली से संबंधित है. माओवादी संगठन टीपीसी को अपने नेता के नाम से पैसे मिल रहे थे. एजेंसी ने अग्रवाल के खिलाफ अपने पूरक आरोप पत्र में आरोप लगाया कि उनके निर्देश पर, उनके व्यवसाय के सुचारू संचालन के लिए टीपीसी संचालकों और ग्राम समितियों को भुगतान करने के उद्देश्य से कोयला ट्रांसपोर्टरों को 200 रुपये प्रति मीट्रिक टन कोयले का भुगतान लंबे समय तक किया गया था. आरोप पत्र के आधार पर रांची की विशेष एनआईए अदालत ने महेश अग्रवाल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था. जिसके बाद एनआईए ने उसका नाम और फोटो अपनी वेबसाइट पर मोस्ट वांटेड सूची में भी डाला था, जिसे बाद में हटा लिया गया.
बता दें कि टेरर फंडिंग मामले में हाईकोर्ट ने अमित अग्रवाल उर्फ सोनू अग्रवाल, महेश अग्रवाल और बीकेबी ट्रांसपोर्ट के मालिक विनित अग्रवाल के अंतरिम राहत की अवधि समाप्त कर दिया है. साथ पुराने सभी स्टे ऑडर्स को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद तीनों की गिरफ्तारी कभी भी हो सकती है. पूर्व में हाईकोर्ट ने तीनों से संबंधि मामलों में अंतरिम राहत दे रखी थी, जिसे वेकैट कर दिया गया. जिस वजह से एनआईए तीनों की गिरफ्तारी नहीं कर पा रहा था. एनआईए ने तीनों की गिरफ्तारी के लिए कई बार छापेमारी की, मगर यह लोग फरार मिले. ज्ञात हो कि टंडवा में आम्रपाली व मगध कोल परियोजना में काम करने के बदले में शांति समिति के जरिए लेवी वसूली जाती थी. इसकी राशि उग्रवादी संगठन टीपीसी को भी दी जाती थी. यह संगठन उक्त राशि का इस्तेमाल हथियार खरीदने में करते थे. एनआइए ने इस मामले को टेकओवर करते हुए जांच शुरू की है.