जिले के उपायुक्त ने भी अपने हलफनामे में कहा कि जिले में नहीं हो रहा है अवैध बालू का उत्खनन
न्यूज 11 भारत
रांची: दुमका जिले में अवैध बालू उत्खनन और ढुलाई मामले पर अंचल अधिकारी अतुल रंजन भगत की रिपोर्ट पर नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल ने आपत्ति जतायी है. रानेश्वर अंचल के सीओ अतुल रंजन भगत ने 20 अगस्त 2021 और 21 अगस्त 2021 के आधार पर एनजीटी को अपनी जांच रिपोर्ट भेजी है. एनजीटी के न्यायिक सदस्य जस्टिस बी अमित स्थालेकर और विशेषज्ञ सदस्य शैबाल दासगुप्ता ने देवाशीष दास बनाम झारखंड सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया.
पीठ का कहना था कि झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद को बिना किसी सूचना दिये कैसे अंचल अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट दे दी. जबकि प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के सदस्य सचिव यतींद्र कुमार दास ने अदालत को बताया था कि यह जांच 25 अगस्त 2021 को होनी थी. ऐसे में सीओ ने कैसे अपनी रिपोर्ट दे दी, क्योंकि वे जांच समिति का हिस्सा भी थे. एनजीटी ने गलत हलफनामा देने के मामले पर रानेश्वर के अंचल अधिकारी को शो काउज नोटिस भेजा है और विस्तृत जवाब देने को कहा है. प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की तरफ से बताया गया कि तय तिथि को अवैध बालू खनन मामले में कोई जांच ही नहीं हुई. जिला दंडाधिकारी सह उपायुक्त को भी इसकी सूचना नहीं दी गयी थी. प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की ओर से सात अगस्त 2021 को पत्र लिख कर 25 अगस्त को जांच करने की बातें कही गयी थी.
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दुमका के रानेश्वर और अन्य जगहों पर जिले के उपायुक्त की तरफ से दिये गये एफीडेविट में कहा गया था कि बालू का अवैध उत्खनन दुमका में नहं हो रहा है. ऐसे में पर्यावरण को होनेवाली क्षति को लेकर राज्य सरकार किसी तरह का मुआवजा पर्यावरण विभाग को नहीं सौंपेगी. उपायुक्त के एफीडेविट में यह भी कहा गया कि दो लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है.
मालूम को कि दुमका जिले में अवैध बालू उत्खनन और ढुलाई को लेकर एनजीटी में मामला चल रहा है. इसमें रानेश्वर प्रखंड में अवैध बालू उत्खनन से हो रहे पर्यावरण के नुकसान और इकोलोजी सिस्टम बिगड़ने को लेकर शिकायत दर्ज करायी गयी है. यह कहा गया है कि रानेश्वर प्रखंड के जिस नदी से बालू का उठाव किया जा रहा है, उसके किनारे पर और आसपास के गांवों पर बुरा असर पड़ रहा है. पोकलेन और अन्य उपकरणों से बालू की निकासी की जा रही है.