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रांची: सीएम हेमंत सोरेन से जुडे माइनिंग लीज और शेल कंपनी मामले पर मंगलवार को झारखंड हाईकोर्ट में वर्चुअल सुनवाई हुई. वर्चुअल सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की विशेष पीठ ने दो घंटे तक मामले पर दोनों पक्षों को सुना. माइंस आवंटन मामला और शेल कंपनियों से जुड़े मामले पर अलग-अलग सुनवाई की गयी, जो अधूरी है. अदालत ने फिर से 19 मई को सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर दोनों मामले के साथ अरुण कुमार दुबे की रिट याचिका पर भी सुनवाई होगी. अरुण कुमार दुबे ने मनरेगा घोटाले की सीबीआइ जांच कराने की मांग की है. हाईकोर्ट की वर्चुअल सुनवाई में सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से शेल कंपनी और माइंस घोटाले का पूरा प्रकरण सीबीआइ को सौंपने योग्य है. इसका राज्य सरकार की तरफ से पक्ष रख रहे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने विरोध किया. महाधिवक्ता राजीव रंजन सिन्हा और सुप्रीम कोर्ट के कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने अदालत से आग्रह किया कि 19 मई को फिजिकल कोर्ट में बहस होनी चाहिए. सरकार की तरफ से याचिका से संबंधित कई दस्तावेज अदालत के समक्ष पेश किये जाने हैं. पर अदालत ने फिजिकल कोर्ट में बहस करने की अपील ठुकरा दी.
पहले हुई शेल कंपनियों पर बहस
हाईकोर्ट में आज तय सुनवाई में पहले शेल कंपनियों को लेकर दलीलें रखी गयीं. अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि जो भी बातें याचिका में रखी गयी हैं. इसे पहले भी अदालत में रखा गया था. राय इंद्रनील सिन्हा की याचिका को तत्कालीन खंडपीठ ने रद्द कर दिया था. उसी याचिका की अधिकतर चीजें शिवशंकर शर्मा की याचिका में संलग्न की गयी है. यह अब सुनने योग्य नहीं है, क्योंकि सारे तथ्य और दस्तावेज सही नहीं हैं और इससे याचिका में आरोपी बनाये गये लोगों पर मामला नहीं बनता है. उन्होंने मामले की सीबीआइ जांच कराये जाने के आग्रह का विरोध किया. शेल कंपनियों के मामले में ईडी की तरफ से उपस्थित हुए सोलिसिटर जनरल ने कहा कि हमने सभी साक्ष्य सील बंद लिफाफे में कोर्ट में पेश किये हैं. इसको लेकर रजिस्ट्रार ऑफ कंपनिज से भी ली गयी जानकारी सन्निहित की गयी है. कोर्ट ने सील बंद लिफाफे को देखा और कंपनियों के नाम की जानकारी भी ली. उन्होंने कहा कि शेल कंपनियों की पूरी सूचना उपलब्ध करा दी गयी है . मामले की संपूर्ण जांच सीबीआइ से कराये जाने के लिए योग्य है. क्योंकि इसमें रजनेता, अधिकारी , ब्रोकर और अन्य के पैसे के लेन-देन का मामला प्रत्यक्ष है. ईडी की तरफ से कुल 32 कंपनियों की जानकारी दी है , जो याचिका में शामिल हैँ. इनके अलावा शेल कंपनियों से जुडे रवि केजरिवाल, रमेश केजरिवाल, राजीव अग्रवाल, निधि अग्रवाल, प्रेम नाथ माली , रंजन साहू का ब्योरा भी दिया गय़ा है. ज़िन शेल कंपनियों के डीटेल उपलब्ध कराये गये हैँ. इन कंपनियों में अनुप टी कंपनी, औरा फिल्म कोरपोरेशन लिमी टेड , भाषा कंसट्रक्सन, ब्राईट फाइनांशियल, वेदिक मैथ फोरम, वसुंधरा विनकॉम प्राइवेट लिमिटेड, डेस्टिनेशन निर्माण प्राइवेट लिमिटेड, एमआर वाणिज्य प्राइवेट लिमिटेड, एसएम स्कार्प प्रोसेसिंग को प्राइवेट लिमिटेड, सालासर डीलट्रेड प्राइवेट लिमिटेड, सिंपल विनियोग प्राइवेट लिमिटेड, सिंघल एंटरप्राइजेज, झारसुगोड़ा प्राईवेट लिमिटेड, सन एनक्लेव प्राईवेट लिमिटेड, गायत्री कमोट्रेड प्राइवेट लिमिटेड के नाम प्रमुख हैं.
बाद में हुई माइंस मामले पर सुनवाई
हाईकोर्ट की विशेष पीठ ने बाद में सीएम के नाम से आवंटित स्टोन माइंस मामले की सुनवाई की गयी. अदालत ने मामले पर फिर रांची के उपायुक्त छवि रंजन की ओर से दायर हलफनामे पर नाराजगी जतायी. अदालत ने कहा कि सरकार के स्तर पर स्टोन माइंस आवंटन मामले में एफीडेविट दिया जाना चाहिए था. इस दौरान रांची के उपायुक्त छवि रंजन भी उपस्थित रहे. सुनवाई के क्रम में ईडी की तरफ से कहा गया कि पाकुड़ में आवंटित ग्रांड माइनिंग कंपनी और एक अन्य कंपनी के जरिये अवैध स्टोन चिप्स अवैध तरीके से पाकुड़, बोकारो, देवघर होते हुए बांगलादेश भेजे गये हैं. कोर्ट को बताया गय़ा की सत्ता के शिर्ष पर काबिज लोगों के मातहत ही अवैध माइनिंग औऱ् ट्रांसपोर्टेशन हो रहा है. अवैध खनन का पैसा रवि केजरिवाल के माध्यम से खपाया गय़ा.
महाधिवक्ता राजीव रंजन सिन्हा ने कहा आज की बहस पूरी नहीं हुई
महाधिवक्ता राजीव रंजन सिन्हा ने कहा कि आज की बहस पूरी नहीं हुई है. बहस फिर 19 मई को होगी. दोनों मामलों में बहस अधूरी रही. कोर्ट की ओर से 19 मई को फिर से दोनों पक्षों की बातें सुनी जायेंगी. इस क्रम में खूंटी और चतरा जिले में हुए मनरेगा घोटाले से संबंधित अरुण कुमार दुबे की याचिका पर भी साईड बाई साईड सुनवाई की जायेगी. उन्होंने कहा कि मामला अभी विचाराधीन है. ऐसे में कुछ भी कहना लाजिमी नहीं है. उन्होंने कहा कि ईडी की तरफ से यह मांग की गयी कि दोनों मामलों की सीबीआइ जांच की सिफारिश की जानी चाहिए. इसका हमलोगों ने विरोध भी किया. उन्होंने कहा कि सरकार के पास पर्पाप्त सबूत हैं, जिसे 19 की कार्यवाही के दौरान पेश किया जायेगा.