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रांची: झारखंड नियोजन नीति के रद्द होने के बाद से ही सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर सवालों का सामना करती हुई नजर आ रही थी. राज्य में बेरोजगारी के मुद्दे पर घिरती हेमंत सरकार ने नयी नियोजन नीति तैयार की है. झारखंड के कार्मिक विभाग द्वारा तैयार किये गये इस नए प्रस्ताव को विधि विभाग की सहमति के लिए भेजा गया है.
बता दें दो मार्च को होनेवाली झारखंड सरकार की कैबिनेट मीटिंग में इस पर सहमति बन सकती है. बात करें इस नए नियोजन नीति की तो राज्य सरकार ने इसे लागू कर इस वर्ष पहले चरण में कम से कम 30 हजार नियुक्तियां करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. बता दें राज्य सरकार की इस नयी नियोजन नीति के प्रस्ताव का आधार वर्ष 2016 के पूर्व लागू नियोजन नीति पर तैयार किया जा रहा है. इस नीति को राज्य सरकार ने झारखंड के युवाओं के फीडबैक के आधार पर तैयार कराया है.
इस काम के लिए राज्य सरकार ने भारत सरकार की मिनी रत्न कंपनी ब्रॉडकास्टिंग इंजीनियरिंग कंसल्टेंट इंडिया लिमिटेड को झारखंड के युवाओं की राय लेने का जिम्मा सौंपा था. इसके बाद कंपनी ने सुझाव के लिए कुल 7,33,921 लोगों तक पहुंच बनायी ओर लोगों की राय जानने के बाद पता चला कि इसमें 73 प्रतिशत झारखंड के युवाओं ने 2016 से पहलेवाली नियोजन नीति के आधार पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने पर पूर्ण सहमति जतायी है. वहीं 16 प्रतिशत युवाओं ने जवाब नहीं में दिया था, जबकि 11 प्रतिशत युवाओं ने कह नहीं सकते कहा था.
सर्वे से मिले परिणाम के आधार पर ही युवाओं की राय 2016 की नियोजन नीति को अपनाते हुए नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने पर ही सरकार आगे बढ़ रही है. बता दें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में 1932 के खतियान आधारित नियोजन नीति पर अंतिम निर्णय लेते हुए विधानसभा से इस संबंध में विधेयक पारित करते हुए आगे के निर्णय के लिए राज्यपाल के पास भेजा था.
इस बारे में राज्य सरकार का मानना था कि 1932 के खतियान आधारित नियोजन नीति एवं पिछड़े वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के विषय को संविधान की नौवीं अनुसूची का संरक्षण मिल जाने के बाद ही बहाल किया जाये. परंतु इन परिस्थितियों में जब राज्यपाल द्वारा राज्य सरकार के इस खतियान आधारित नियोजन प्रस्ताव वापस कर दिया गया तब ऐसे में एक तात्कालिक कदम की जरूरत को महसूस करते हुए राज्य के युवाओं से इस संबंध में राय जानने का प्रयास किया गया.
इसके बाद अब राज्य सरकार नयी नियोजन नीति को लाकर इस वर्ष में 30 हजार युवाओ को नियुक्ति करने का लक्ष्य निर्धारित रही है. वहीं बजट सत्र के दसरे दिन सदन की कारवाही हंगामेदार रही. मंगलवार को सदन में विपक्ष ने राज्य में शिक्षकों की कमी का मामला उठाया. शिक्षा से संबंधित मामलों पर सरकार को घेरते हुए विपक्ष ने अल्पसंख्यक विद्यालय, मॉडल स्कूल सहित प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को लेकर विधायकों ने सरकार से जवाब मांगा.
इधर विधायकों के सवालों का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि शिक्षकों की कमी दूर करने की दिशा में सरकार काम कर रही है. शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया आगे बढ़ायी गयी है. इसको लेकर नीतियां बन रही है. इसके बाद सदन में विधायक डॉ इरफान अंसारी, जय प्रकाश भाई पटेल, दीपिका पांडेय सिंह, मथुरा प्रसाद, डॉ सरफराज अहमद, अमित यादव, प्रो स्टीफन मरांडी, प्रदीप यादव ने इससे संबंधित मामला उठाया. वहीं विधायक जयप्रकाश ने वित्तरहित शिक्षण संस्थानों में कर्मचारियों और पदाधिकारियों का वेतनमान महंगाई को देखते हुए इसमें बढ़ोतरी की मांग रखी.
इन सवालों का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि पूर्व की सरकार ने तो अनुदान का पैसा घटा दिया था, हमने डबल किया है. इस मामले को लेकर उच्चस्तरीय कमेटी बना दी गयी है, पूरे मामले की समीक्षा की जा रही है. इसके बाद सदन में झामुमो विधायक मथुरा प्रसाद ने प्लस टू विद्यालयों में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा सहित अन्य विषयों के शिक्षकों की कमी का मामला उठाया. इन सवालों के जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा कि नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है बहुत जल्द नियुक्ति होगी.
इसके बाद डॉ सरफराज अहमद ने सदन में मामला उठाया कि राज्य के 1200 विद्यालयों में छात्र-शिक्षक के आदर्श अनुपात और बुनियादी सुविधाओं में काफी पीछे है. इसके बाद उन्होंने सरकार से इस संबंध में आंकड़ा मांगा. इसके उत्तर में शिक्षा मंत्री का कहना था कि सरकार का इस पर ध्यान है जल्द आंकड़ा भी उपलब्ध करा दिया जायेगा.
वहीं विधायक अमित यादव व प्रदीप यादव ने राज्य के मॉडल स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का मामला उठाया उनका कहना था कि शिक्षकों की कमी है. इसके शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि सरकार पहले फेज में 20 मॉडल स्कूलों में छात्रावास बनायेगी साथ ही सरकार ई-रिक्शा की भी व्यवस्था बच्चों को लिए करेगी.