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नेहरू जी की विंटेज कार एचईसी में बन गई कबाड़, देखें Video

15 नवंबर 1962 को उपहार में मिली थी ब्यूक ऑटोमेटिक कार
नेहरू जी की विंटेज कार एचईसी में बन गई कबाड़, देखें Video
अमित सिंह, न्यूज 11 भारत

रांची: रूस की सहायता से हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड, यानी एचईसी का निर्माण हुआ था. 15 नवंबर 1962 को रांची में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने एचईसी का उद्धाटन किया था. कंपनी देश को समर्पित करते हुए नेहरू जी ने कहा था यह कारखानों का मंदिर है. रांची में नेहरू जी के आने से पहले उनकी विंटेज कार पहुंची थी. उसी ब्यूक स्टेट वैगन कार से नेहरू जी ने एचईसी कारखाना का दौरा किया था. जिसके बाद नेहरू जी ने उपहार के तौर पर कार को एचईसी प्रबंधन को सौंप दिया जिनका नंबर- डीईएल 2113 है. 

 


 

धरोहर को भी नहीं बचा पाया प्रबंधन

एचईसी की वर्तमान स्थिति बेहतर नहीं है, कंपनी आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है. इस आर्थिक तंगी का खामियांजा कंपनी और कर्मियों के साथ नेहरू जी विंटेज कार को भी भुगतना पड़ा. नेहरू जी की विंटेज कार एचईसी में कबाड़ बनकर रह गई है. जो एक शानदार धरोहर थी. उस धरोहर को भी एचईसी सुरक्षित नहीं रख पाया. वर्तमान में विंटेज कार एचईसी के सेंट्रल ट्रांसपोर्ट के एक गराज में धूल फांक रहा है. जिसे कोई देखने वाला नहीं है. एक समय यह कार एचईसी की शान हुआ करती थी. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी आई, तो इसी विंटेज कार की सवारी की. एचईसी के स्थापना दिवस पर आयोजित होनेवाले कार्यक्रम में कार आकर्षण का केंद्र हुआ करता था.


 


 

एचईसी में आज ब्यूक स्टेट वैगन विंटेज कार अन्य गाड़ियों की तरह लावारिश हालत में पड़ी हुई है. देखरेख करने वाला कोई नहीं है. टायर तक सुरक्षित नहीं है. यानी विंटेज कार अब चलने की स्थिति में नहीं है. विंटेज कार पर न्यूज 11 भारत की विशेष खबर.


 

नेहरू कार : जाने क्या है इसकी विशेषता

 

लेफ्ट हैंड ड्राइव ऑटोमेटिक कार

ब्यूक कंपनी ने 1955 से लेकर 1958 के बीच कार के कई मॉडल उतारे. तब ब्यूक कार अमेरिका की सबसे अधिक बिकने वाली कार थी. इसी के तहत 1958 में ब्यूक स्टेट वैगन कार आई. जो आज एचईसी के सेंट्रल स्टोर में पड़ी हुई है. गराज के एक कमरे में धूल फांक रही है. यह कार ऑटोमेटिक श्रृंखला की सबसे बेहतरीन कार है. इस कार में क्लच नहीं है. लेफ्ट हैंड ड्राइव कार में स्टीयरिंग के साथ एक लीवर है. जिसमें एक रियर और दूसर बैक गेयर है. 

 

80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार 

ब्यूक 1958 में सबसे लंबी और चौड़ी कार थी. यह 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती थी. यह कार 13.5 लीटर पेट्रोल में 100 किलोमीटर का माइलेज देती थी. कार का ग्राउंड क्लीयरेंस 175 मिमी है. इस कार का व्हील बेस 3225.8 मिमी है. ये एक फ्रंट इंजन वाली रियर व्हील ड्राइव कार है, जो कि उस दौर में सबसे ज्यादा महंगी माने जाने वाली कार हुआ करती थी.

 


 

ट्विन हेडलाइट विशेष आकर्षण

ब्यूक अन्य कार की तुलना में अधिक क्रोम और स्टेनलेस-स्टील ट्रिम से सजा हुआ है. अधिक क्रोम और ट्विन हेडलाइट्स विशेष आकर्षण का केंद्र है. कार के ग्रिल में 160 क्रोम स्क्वेयर से लेकर रियर बंपर में नकली जेट एग्जॉस्ट आउटलेट तक, जेट एज का प्रभाव देखा जा सकता है. इसमें स्टाइलिश 4-डोर हार्डटॉप बॉडी स्टाइल के अलावा, यह 364 क्यूबिक-इंच 'फायरबॉल' V8 इंजन द्वारा संचालित था और इसमें एक अच्छी तरह से नियुक्त शानदार इंटीरियर है.
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