राजन पाण्डेय/न्यूज़11 भारत
चैनपुर/न्यूज़11 भारत:-चैनपुर प्रखण्ड में चैत्र माह की पूर्णिमा के दिन आज मंगलवार को धूमधाम के साथ प्रकृति पर्व सरहुल मनान्य गया इस अवसर पर सरहूल सरना स्थल में रवि बैग के द्वारा विधिवत पूजा अर्चना किया गया. पूजा उपरांत सभी सरना धर्मावलंबियों में बैगा के द्वारा सरहूल फूल का वितरण किया गया. रवि बैगा ने कहा, कि सरहुल झारखंड का प्रमुख पर्व है, जिसे आदिवासी के साथ सभी वर्गों के लोग मिलजुल कर धूमधाम से मनाते हैं. सरहुल प्रकृति से प्रेम का प्रतीक है. जनजातीय व समान समुदाय के लोग सरहुल से पहले खेतों में बीज नहीं होते हैं, वहीं सरहुल में गांव के बैग–पहन पुजारी गांव की भलाई व सुख समृद्धि के लिए विभिन्न अनुष्ठान व अच्छी फसल के लिए अच्छी बारिश की प्रार्थना करते हैं. साथ ही इस दौरान भारतीय जनता पार्टी चैनपुर मंडल अध्यक्ष मनोहर बड़ाइक, महामंत्री बुधराम नायक, युवा मोर्चा अध्यक्ष भूषण बैगा, उपाध्यक्ष शिवम केशरी, राजन पाण्डे,रविरंजन, निखिल सिंह, सुरेंद्र कुमार,चैनपुर मुखिया सोभा देवी, संदीप कुमार, कोमल बैगा, त्रिलोकी कुमार, विनय बैगा, संतोष केशरी, निरंजन साहू, भरत कुमार, खुशवंत बैगा, सूबेदार उरॉव, सूरज कुमार, सुंदरम कुमार सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे..
कैसे मनाया जाता है सरहुल पर्व
चैनपुर में सरहुल पर्व पंचांग के अनुसार चैत्र माह की पूर्णिमा के दिन मन्या जाता है.इस के दौरान खानपान का भी खास ध्यान रखा जाता है. इस दौरान प्रसाद के रूप में जो व्यंजन दिए जाते हैं, उन्हें हंडिया और डिआंग कहा जाता है. यह प्रसाद चावल, पानी और पेड़ के पत्तों से तैयार होता है. इसी तरह से ‘बैगा’ भी परोसा जाता है. इसके बाद खड्डी का सेवन भी किया जाता है, लेकिन यह व्यंजन रात में खाया जाता है. सरहुल में पत्ते वाली सब्जियां, कंद, दालें, चावल, बीज, फल, फूल, पत्ते और मशरूम के व्यंजन बनते हैं.