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रांची : भगवान का दूसरा रूप माना जाता है धरती पर माता पिता को. वो हमारे जीवन के सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम होते हैं. उनके लिए पूरा जीवन कम होता है , कोई एक दिन उनके लिए निर्देशित करना उचित नही. फिर भी एक ऐसा दिन है जिस दिन हर साल माता-पिता के प्यार और आशीर्वाद के लिए पैरेंट्स डे मनाया जाता है. अपने माता और पिता के नाम एक दिन अलग से होना भी गर्व की बात है.
शुरुआत और महत्त्व
भारत में नेशनल परेंट्स डे हर साल जुलाई के चौथे रविवार को मनाया जाता है. नेशनल पेरेंट्स डे को मनाने की शुरुआत 8 मई 1973 को दक्षिण कोरिया में हुई थी. हालांकि दक्षिण कोरिया में इस दिन को सेलिब्रेट करने के लिए 8 मई का दिन चुना गया था. वहीं ऑफिशियली तौर पेरेंट्स डे को सेलिब्रेट करने की शुरुआत 1994 में अमेरिका में हुई. इस दिन को जब मनाया गया तो वह दिन जुलाई का चौथा रविवार था. इस तरह से यह हर साल जुलाई के चौथे रविवार को मनाया जाने लगा. ये दिन अलग अलग देशों में अलग अलग दिन मनाया जाता है. फिलीपींस में दिसंबर महीने के पहले सोमवार को, वियतनाम में 7 जुलाई को वहीं रूस और श्रीलंका में 1 जून को ग्लोबल पेरेंट्स डे मनाया जाता है.
पेरेंट्स डे को मनाने का महत्व
मां और पिता दोनों ही बच्चों के लिए एक तरह से भगवान का ही रूप होते हैं. बच्चों पर बिना मन में कोई भी छल कपट और प्यार की भावना से सबकुछ अपना न्योछावर कर देते हैं. हर अच्छे और बुरे समय में साथ खड़े रहना. बच्चों के लिए हर वो कोशिश कर उन्हें वह सबकुछ दे देना जिसे उन्होंने अपना कभी माना ही नहीं यह सब कोई और नहीं एक मां बाप ही कर सकते हैं. मां और पिता को जीवन का सबसे बड़ा उपहार माना जाता है. इसलिए भी पेरेंट्स डे को मनाया जाता है. पेरेंट्स डे को मनाने का मकसद प्यारा और अनोखा है. अपने माता पिता के प्रति प्यार को प्रगट करने के लिए ये एक खास दिन मनाया जाता है.
माता पिता को दे अपना समय
इस दिन को अपने माता पिता के लिए कुछ समय जरुर निकालना चाहिए . उनके लिए कोई खास खाना बनाकर ,उनके साथ कही घुमने जाने का प्लान बनाकर हम उनके साथ समय बिता सकते है. या तो पिकनिक पर भी पूरे परिवार के साथ जा सकते हैं. उनकी जरूरत का कोई सामान उन्हें तोहफे में दे सकते हैं. उनकी पसंद की कोई पुरानी मूवी लगाकर साथ में स्नैक पार्टी करते हुए सब साथ में बैठकर देख सकते हैं. ये सब यकीनन हमारे माता पिता को अच्छा लगेगा.