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इस डैम में आत्माओं का है बसेरा! डैम निर्माण में दी गई थी बहू-बेटे की बली, दिखती है परछाई..

अंग्रेज इंजिनियर ने अपने ही परिजनों की दी थी ज़िंदा बली
इस डैम में आत्माओं का है बसेरा! डैम निर्माण में दी गई थी बहू-बेटे की बली, दिखती है परछाई..

न्यूज11 भारत


गोमोः बचपन में कहा जाता था कि बाहर मत जाओ लकडसूंघा घूम रहा है जो बच्चों को बोरे में भरकर ले जाएगा, क्योंकि फलाना जगह पर डैम या बड़ा पुल बन रहा है. जहां पर छोटे बच्चों को जिन्दा पिलर में डाल दिया जाता है यानी नरबलि दी जाती है, याद आ गया न... आज ऐसी ही एक कहानी हम आपको दिखा रहे है जो आपके रोंगटे खड़े कर देंगे. 


प्रकृति की मिसाल पेस करती तोपचांची झील जो की चारों तरफ से ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से घिरी है, अंग्रेजो द्वारा बनाई गई इस झील पर डैम को लगभग 100 साल पहले बनाया गया जिसका उद्घाटन तत्कालीन गवर्नर सर हेनरी विलियम ने सन 1924 में किया, तभी से इंजीनियरिंग की मिसाल पेस करती तोपचांची झील पर बनी डैम चट्टान की तरह खड़ी है, लेकिन इस डैम के बनने के समय की एक कहानी है जो की तोपचांची के बुजुर्ग आज भी बताते है यह कम रोचक नहीं क्योंकि तोपचांची के ही रहने वाले कुछ बुजुर्गो के अनुसार झील पर डैम के निर्माण के समय डैम के बुनियाद में नरबलि दी गई थी वो भी एक अंग्रेज इंजिनियर ने अपने ही परिजनों की ज़िंदा बलि दी थी. 

 


 

बुजुर्गों के अनुसार डैम के निर्माण के समय एक अंग्रेज इंजिनियर ने अपने बेटे और बहु की बलि दी थी. वो भी डैम के बीचोबीच बने बुनियाद में इन्हे ज़िंदा ही दफना दिया गया था. उस जमाने में यह माना जाता था की किसी भी डैम के निर्माण में इंसानों की बलि देने से डैम सालों-सालों तक बिना किसी नुकसान के यथावत खड़ी रहती है.

 


 


इसका जीता जागता उदहारण है की आज भी डैम के बीचोबीच बने डैम के सेंटर पॉइंट यानी डैम की बुनियाद के भीतर की दीवार पर मानव आकृति खुद ब खुद उभर कर सामने आ गई है. इस आकृति को देखने पर बिलकुल लगता है की डैम की बुनियाद पर उभरी आकृति बिलकुल मानव आकृति है जो की यहां के स्थानीय बुजुर्गो द्वारा कही जाने वाली नरबलि की बात को कही न कही सच साबित करती है. हांलाकि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है, लेकिन डैम के बुनियाद की दीवारों पर उभरी मानव आकृति कही न कही लोगों के मन में नरबलि की बात को सच मानने पर मजबूर जरूर करती है.

 


 

तोपचांची झील से जुड़ी ये कहानी सिर्फ और सिर्फ न्यूज़ 11 भारत के पास ही है, हांलाकि इस तरह की नरबलि की बात आज के 21वीं सदी में बिलकुल ही मानी नहीं जा सकती, लेकिन पूर्व के जमाने में दादा-दादी से सुनी कहानियां जिसमे बड़े पुल या डैम के निर्माण के समय बच्चों या किसी इंसान की नरबलि देने की चर्चाएं या कहानियां हम सब ने जरूर सुनी है. जिसमें तोपचांची के यह झील भी शामिल है, क्योंकि नरबलि के स्थान पर आपरूपी इंसान की आकृति उभरी हुई है, जिसे नकारा नहीं जा सकता या इस आकृति के बारे में खोजकर्ताओं को जांच करना चाहिए की असलियत क्या है.

 

हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते लेकिन पुराने बुजुर्गो द्वारा कही गई झील के बारे में कहानी को आप तक पहुंचा रहे है,  मानना या नहीं मानना आपके हाथो में है.
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