अजय लाल / न्यूज 11 भारत
रांची : यदि आप रांची नगर निगम के अधीन रहने वाले हैं और यदि आपने वर्ष 2012 से वर्ष 2016 के बीच किसी भी प्रकार का प्रमाण पत्र निगम से हासिल कर रखा है तो वह कागज के टुकड़े के अलावे कुछ भी नहीं है. दरअसल, रांची नगर निगम के पास 2012 से 2016 के बीच का कोई डाटा उपलब्ध नहीं है. ना आफ- लाईन और ना ही आनलाईन. चुकि प्रमाण पत्रों की सत्यता जांची नहीं जा सकती लिहाजा, ऐसे तमाम प्रमाण पत्रों को एक एक कर फर्जी करार दिया जा रहा है.
क्या है मामला
वर्ष 2012 से 2016 के बीच नगर निगम में जन्म और मृत्यू प्रमाण पत्र बनाने का काम प्रज्ञा केन्द्रों को मार्फत होती थी. ऐसे प्रज्ञा केन्द्रो के संचालन की जिम्मेदारी जैप आईटी की थी. यह काम रांची जिले के डीसी की देखरेख में होती थी. 2016 के बाद एक विवाद की वजह से प्रज्ञा केन्द्रों से यह काम छीन लिया गया. समस्या यह उत्पन्न हुई की नगर निगम ने प्रज्ञा केन्द्रों से यह डाटा अपने पास नहीं लिया. लिहाजा, जैप आईटी डाटा के साथ नगर निगम से विदा हो गयी और निगम डाटा विहीन हो गया.
क्या हो रही परेशानी
किसी का जन्म चाहे किसी भी वर्ष में क्यों ना हुआ हो यदि उसने वर्ष 2012 से 2016 के बीच नगर निगम से प्रमाण पत्र इश्यू करवाया है तो यह कहीं से भी सर्टीफाईड नहीं हो रहा है. संबंधित व्यक्ति ने जहां पर ऐसे प्रमाण पत्र जमा कराया है वह ऐसे प्रमाण पत्र को ना तो आफलाईन और ना ही आनलाईन सर्टीफाईड नहीं कर पा रहा है. लिहाजा, ऐसे प्रमाण पत्रों को संस्थाएं संदिग्ध और फर्जी मान रही है. यहां तक कि विदेश में रहने वालों को अपने बच्चों के लिए पासपोर्ट तक नही बन पा रहा हैं..
क्या कहते हैं जिम्मेदार
इस मामले में रांची नगर निगम के डिप्टी मेयर संजीव विजय वर्गीय का कहना है कि इस मामले में रांची नगर निगम की कोई गलती नहीं है. कायदे से जैप आईटी को चाहिए था कि वह बोरिया बिस्तर बांधने के पहले डाटा नगर निगम को सौंप देता. लेकिन नगर निगम ने उस वक्त टेक्निकल मजबूरी की वजह से ऐसा दावा करना तो दूर जैप आईटी से अनुरोध तक नहीं किया. उप नगर आयुक्त रजनीश कुमार कहते हैं कि हमारे कस्टोडियन डीसी होते हैं लिहाजा उनसे डाटा के लिए पत्राचार किया जा रहा है.
जैप आईटी ने मजबूरी गिनायी
जैप आईटी के प्रोजेक्ट मैनेजर देव कुमार ने न्यूज11 से कहा कि जिस वक्त जैप आईटी की निगरानी में जन्म प्रमाण पत्र बनाने का काम होता था वह टीसीएस साफ्टवेयर पर आधारित था. बाद में यह साफ्टवेयर आऊटडेटेड हो गया जिस वजह से इसे रीड नहीं किया जा सकता. देव कुमार ने कहा कि बावजूद इसके कुछ डाटा को रिकवर किया जा रहा है और उसे उपायुक्त को सौंप दिया गया है.
अब आगे क्या
ऐसे लोगों को नये सिरे से जन्म प्रमाण पत्र बनवाने होंगे. इसके लिए सबसे पहले व्यक्ति को न्यायालय से शपथ पत्र बनवाना होगा. शपथ पत्र के बाद संबंधित व्यक्ति को उस अस्पताल से बोनाफाईड लेना होगा जहां पर बच्चे को जन्म हुआ है. इतना करने के बाद उसे नगर निगम से दो आवेदन लेकर उसे भरना होगा. आवेदन भरने के बाद यदि बच्चे की उम्र दस साल से अधिक हो गयी है तो स्कूल से भी बोनाफाईड सर्टिफिकेट लेना होगा. ये तमाम कागज नगर निगम में जमा करना होगा. शपथ पत्र पर पिता का फोटा लगाना होगा. इतना करने के बाद नगर निगम नये सिरे से आपको प्रमाण पत्र जारी कर देगा. प्रक्रिया में दस से पंद्रह दिनों का वक्त लग सकता है.