झारखंड के चितरपुर, डुमरी, वृंदा, सिसई और मेराल कोयला ब्लॉक किया गया था 2005-06 में आवंटन
कॉर्पोरेट इस्पात, नीलांचल आयरन एंड पावर और अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को मिलेगा दिया गया बैंक गारंटी
इन कंपनियों के 35 करोड़ के बैंक गारंटी होंगे वापस
कोयला मंत्रालय के अंतर मंत्रियों के समूह की 46वीं बैठक में लिया गया निर्णय
बैठक नयी दिल्ली में हुई थी आयोजित, केंद्रीय कोलया मंत्रालय के अपर सचिव ने की थी बैठक
जेएसएमडीसी के दो कोल ब्लॉक पतरातू और राबोध पर फैसला नहीं
दीपक/न्यूज11 भारत
रांची: कोयला मंत्रालय ने झारखंड के पांच कोयला ब्लॉक के आवंटन मामले में पूर्व आवंटियों के बैंक गारंटी को वापस लौटाने का निर्णय लिया है. मंत्रालय के अंतर मंत्रिमंडलीय समूह (आइएमजी) की 46वीं बैठक में यह निर्णय लिया. इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय कोयला मंत्रालय के अपर सचिव ने की थी. बैठक में सात कोयला ब्लॉकों के लिए ली गयी बैंक गारंटी की वापसी पर सहमति बनी. इसमें झारखंड के चितरपुर, डुमरी, वृंदा, सिसई और मेराल कोल ब्लॉक शामिल हैं. आइएमजी की 46वीं बैठक में सात कोयला ब्लॉकों के पूर्व आवंटियों को शत प्रतिशत बैंक गारंटी वापस करने की सहमति बनी थी. इस मामले पर झारखंड के लोक उपक्रम सीएमपीडीआइ से आवंटियों के माइल स्टोन से संबंधित दस्तावेज मंगाये थे. स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीड्यूर (एसओपी) के तहत बैंक गारंटी की वापसी पर निर्णय लिये गये. सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से 24 सितंबर 2014 को दिये गये न्यायादेश के बाद पूर्व में आवंटित कोयला और लौह अयस्क के खदानों को केंद्र सरकार ने रद्द कर दिया था. कोयला मंत्रालय की ओर से झारखंड राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड को आवंटित पतरातू कोल ब्लाक और राबोध कोल ब्लाक की बैंक गारंटी वापस करने पर अभी निर्णय नहीं लिया गया है. समूह की अगली बैठक में इस पर सहमति बनाने का प्रयास किया जायेगा
कारपोरेट इस्पात एलायज लिमिटेड को मिला था झारखंड का चितरपुर कोल ब्लाक
झारखंड के चितरपुर कोल ब्लाक का आवंटन कारपोरेट इस्पात एलायज लिमिटेड को दो सितंबर 20025 को किया गया था. इसके लिए कोयला मंत्रालय की तरफ से आवंटन पत्रांक 47011/1(18)/2000-CPAM/CA के तहत दिया गया था. इसके लिए कंपनी ने 13.88 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा की थी. अंतर मिनिस्ट्रीयल समूह की 10वीं बैठक में कारपोरेट इस्पात के बैंक गारंटी में से पैसे की कटौती करने का निर्णय लेते हुए कंपनी को 10.41 करोड़ का भुगतान करने का निर्णय लिया गया था. कोयला मंत्रालय की तरफ से कहा गया था कि कारपोरेट इस्पात ने तय समय में कोयले की माइनिंग शुरू नहीं की थी. इस मामले पर 30 सितंबर 2021 को कोलकाता से एक आधिकारिक लिक्विडेटर नियुक्त किया गया था. कंपनी की तरफ से आवंटित कोल ब्लाक के लिए जियोलाजिकल रिपोर्ट जमा कर दी गयी थी. 22 अगस्त 2014 तक ही बैंक गारंटी की वैधता थी. कंपनी की ओर से खनन का माइनिंग प्लान दो महीने की देर से कोयला मंत्रालय को जमा किया गया था. कारपोरेट इस्पात को दो साल पांच महीने में कोयले का उत्पादन शुरू करना था. कंपनी की ओर से खदान के लिए पर्यावरण क्लीयरेंस भी ले लिया गया था. जमीन अधिग्रहण और अन्य गतिविधियां अंतिम चरण में थी. माइनिंग आपरेशन की अनुमति भी लंबित रखी गयी थी. कंपनी की तरफ से कोलकाता, दिल्ली और झारखंड हाईकोर्ट में कई मामले भी दर्ज कर रखे थे.
डुमरी कोल ब्लाक नीलांचल आयरन एंड पावर लिमिटेड को किया गया था आवंटित
झारखंड का डुमरी कोल ब्लाक मेसर्स नीलांचल आयरन एंड पावर लिमिटेड और बजरंग इस्पात प्राइवेट लिमेटेड को आवंटित किया गया था. यह खदान 13 जुलाई 2006 को आवंटित हुआ था. दोनों कंपनियों की तरफ से 6.50 करोड़ की बैंक गारंटी कोयला मंत्रालय को दी गयी थी. यह खनन पट्टा भी सर्वोच्च न्यायलय के आदेश से रद्द हो गया था. इस खदान को लेकर माइनिंग प्लान भी तय समय सीमा से आठ महीने की देर से जमा किया गया था. जियोलाजिकल रिपोर्ट भी देर से जमा किया गया. खदान का माइनिंग प्लान एक वर्ष चार महीने के विलंब से स्वीकृत किया गया था. झारखंड सरकार के खान एवं बूतत्व विभाग की तरफ से 383 हेक्टेयर में से 208.21 हेक्टेयर भूमि पर खनन करने की परमिशन दी गयी थी. जिसमें 10 माह का समय लगा था. इसके लिए फारेस्ट क्लीयरेंस एक साल आठ महीने बाद मिला.
वृंदा, सिसई और मेराल कोल ब्लाक मिला था अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर को
राज्य के तीन कोल ब्लाक अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को 26 मई 2005 को आवंटित किया गया था. इसके लिए कंपनी ने वृंदा कोल ब्लाक के लिए 5.31 करोड़, सिसई के लिए 2.45 करोड़ और मेराल कोल ब्लाक के लिए 7.48 करोड़ रुपये का बैंक गारंटी जमा किया था. इन तीनों खदानों का आवंटन भी सितंबर 2014 के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद रद्द कर दिया गया था. कंपनी की तरफ से खनन पट्टा से संबंधित आवेदन 10 जनवरी 2006 को संबंधित जिले के जिला खनन पदाधिकारी को दिया गया था. जिला खनन पदाधिकारी ने दो वर्ष सात महीने के बाद आवेदन को राज्य सरकार के पास भेजा था. 15 फरवरी 2012 को कंपनी को खनन पट्टा दिया गया था. 10 अप्रैल 2006 को कंपनी ने हजारीबाग के डीएफओ को फारेस्ट क्लीयरेंस का आवेदन दिया था. चार वर् बाद 11 अगस्त 2010 को केंद्रीय वन औऱ पर्यावरण मंत्रालय ने स्टेज-1 फारेस्ट क्लीयरेंस प्रदान किया था. कंपनी ने कोयला खदान को लेकर 132.69 एकड़ जमीन अधिगृहित किया था और 121.25 एकड़ जमीन भी वानिकीकरण के लिए खरीदी थी. कंपनी ने तीन फरवरी 2010 को माइन क्लोजर प्लान मेराल काल ब्लाक के लिए जमा किया था. माइन क्लोजर प्लान 19 मई 2011 को स्वीकृत किया गया था.