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रांची: पेजयल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा है कि राज्य के ऊपर एक कलंक लगा है. जल जीवन मिशन में पिछड़ने का. इस कलंक को हम सब मिलकर ही मिटा सकते हैं. सभी लोगों को मिलकर काम करना होगा. 2024 के जल जीवन मिशन के लक्ष्य को हासिल करने के बाद ही, हम सब पिछड़ने के कलंक को मिटा सकते है.
योजना का लक्ष्य हासिल करने में सबों का सहयोग जरूरी है. उक्त बातें मिथिलेश ठाकुर ने होटल चाणक्या में कहीं. वे जल जीवन मिशन पर बुधवार को आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. कार्यशाला में विभागीय इंजीनियर और संवेदक शामिल हुए. मंत्री ने इंजीनियरों और संवेदकों को समन्वय स्थापित योजना का काम समय पर पूरा करने की बात कही.
मंत्री ने कार्यशाला में मिशन से जुड़े बडे़ संवेदकों, एजेंसियों के प्रतिनिधि की अनुपस्थिति पर उन्होंने नाराजगी भी जाहिर की. कहा कि पेयजल विभाग अपने स्तर से कई नियमों को शिथिल कर रहा है. मिशन मोड में लक्ष्य को पूरा करने पर काम चल रहा है. जिन संवेदकों ने बड़ी योजनाएं ले रखी हैं, उन्हें भी ऐसी कार्यशाला का लाभ लेना चाहिए. मौके पर उन्होंने जल जीवन मिशन में उल्लेखनीय कार्य करने वाले इंजीनियरों, संवेदकों को पुरस्कृत भी किया.
अपने संबोधन में सचिव प्रशांत कुमार ने कहा कि जल जीवन मिशन के लक्ष्य को पूरा करने को कई ऐसे प्रयास हो रहे हैं जिससे संवेदकों, इंजीनियरों को आसानी हो. इंजीनियरों को मुख्यालय दौड़ना ना पड़े, इसके लिए एक क्वार्टर का प्रोग्राम पहले ही मंगाकर पैसा रिलीज कर दिया जा रहा है. कई प्रावधानों को जरूरत के हिसाब से लचीला किया गया है.
कार्यशाला में विभागीय सचिव प्रशांत कुमार, इंजीनियर इन चीफ रघुनंदन शर्मा, पीएमयू के इंजीनियर प्रमुख संजय झा, पीएमयू के पदाधिकारी प्रणव कुमार पाल और अन्य पदाधिकारियों, इंजीनियरों के अलावा वाश (यूनिसेफ) के कुमार प्रेमचंद और कई संवेदक भी उपस्थित थे.
जल जीवन मिशन में झारखंड की स्थिति
जल जीवन मिशन में झारखंड की स्थिति अन्य राज्यों की तुलना में काफी खराब है. यूपी को छोड़ कर अन्य राज्यों की स्थिति झारखंड से बेहतर है. देश में इस योजना का राष्ट्रीय औसत 49.22% हैं, जबकि झारखंड की प्रगति 19.75% है. जल जीवन मिशन के तहत अब भी केंद्र की ओर से आवंटित किये गये 212.94 करोड़ रुपये खर्च नहीं हो पाये हैं. इस राशि का 50 प्रतिशत से अधिक खर्च करने के बाद ही केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त फंड का प्रावधान किया जाना है.
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से लक्ष्य को हासिल करने के लिए चालू वित्तीय वर्ष में 113 बहु ग्रामीण जलापूर्ति व 38 हजार लघु ग्रामीण जलापूर्ति की नयी योजनाएं प्रस्तावित हैं. इसको लेकर बजट में राज्यांश मद से 1530.10 करोड़ व केंद्रांश मद से 1579.50 करोड़ का प्रावधान किया गया है.