अब तक की रिपोर्ट में सामने आयी कई महत्वपूर्ण जानकारियां
उपायुक्त के परमिशन से खोले जा सकते हैं स्कूल, कॉलेज
पर मालिकाना हक नहीं बदला जा सकता और न हो सकती है खरीद बिक्री
न्यूज11 भारत/दीपक
रांची: भुईंहरी जमीन पर अट्टालिकाएं, बहुमंजिली इमारत बनने का नया खेल अब राजधानी रांची में शुरू हो गया है. आइएएस पूजा सिंघल प्रकरण के बाद यह मामला तेजी से सुर्खियों में आया कि कैसे पल्स अस्पताल से लेकर कई बड़े अपार्टमेंट बड़गाईं मौजा के खाता संख्या 161, 162, 163, 164, 165 में बन गये. अब प्रमंडलीय आयुक्त डॉ नितिन मदन कुलकर्णी ने बड़गाईं मौजा के इन खातों पर बने भवन अपार्टमेंट की जानकारी मांगी है. इसको लेकर पूरे अंचल कार्यालय में हड़कंप सा मचा है. फिलहाल यहां पर अंचल अधिकारी के रूप में मनोज कुमार पदस्थापित हैं. वे रांची में हुई हिंसक घटना के बाद एयरपोर्ट में बतौर दंडाधिकारी प्रतिनियुक्त हैं.
कई बड़े अपार्टमेंट बने हैं भुईंहरी जमीन पर
ला विस्टा अपार्टमेंट, राम प्यारी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, पल्स अस्पताल, रचित हाईट्स, आरपी सिंह अस्पताल, पूरा बख्शी कंपाउंड, हेरीटेज प्वाइंट, हेल्थ प्वाइंट, बरियातू पेट्रोल पंप भुईंहरी जमीन पर बना है. इसकी रिपोर्ट बड़ागाईं अंचल कार्यालय की तरफ से पूरी कर ली गयी है. अंचल के अमीन की रिपोर्ट जल्द प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय तक भेजी जायेगी.
उपायुक्त दे सकते हैं भुईंहरी जमीन में स्कूल, कॉलेज बनाने का परमिशन
नियमों के अनुसार भुईंहरी जमीन का उपयोग विशेष प्रयोजन के लिए दिया जा सकता है. जिले के उपायुक्त के परमिशन से स्कूल, कॉलेज, उद्योग के लिए जो सार्वजानिक उपयोग के कार्य होने के लिए अनुमति दिये जाने का प्रावधान है. लेकिन उपायुक्त के परमिशन से जो जमीन का पट्टा तैयार होता है. उसमें जमीन के उपयोग के टर्म और कंडीशन स्पष्ट रूप से लिखने की बाध्यता रही थी. मान लें कि किसी भुईंहरी जमीन पर स्कूल बनाने की स्वीकृति उपायुक्त के द्वारा ली गयी है. अगर स्कूल बंद हो जाता है तो जिस व्यक्ति को स्वीकृति मिली है, वह उस जमीन को दूसरे कामों में उपयोग में नहीं ला सकता. न ही वह व्यक्ति भुईंहरी जमीन को बेच सकता है. स्कूल बंद होने की स्थिति में मूल भूस्वामी को यह जमीन स्वतः वापस हो जानी चाहिए.
भुईंहरी जमीन पर अगर किसी व्यक्ति उपायुक्त की स्वीकृति के बाद विशेष प्रयोजन से लेता भी है, तो इसके बाद भी भुईंहरी जमीन की प्रजा का उस जमीन पर सीमित अधिकार है. भुईंहरी जमीन वह जमीन है जो झारखंड के दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल में 2482 मौजा में स्थित है. यह जमीन जहां है उसे भुईंहरी मौजा कहते हैं. भुईंहरी जमीन के मालिक वे परिवार हैं जिनके पूर्वजों ने जंगल साफ कर जमीन को आबाद किया और खेती लायक बनाया. साथ ही गांव को बसाया है.
जब अंग्रेज इन इलाकों में आये तब उन्होंने यहां की सभी जमीन को जमींदारों की जमीन समझने की भूल की. इसके विरुद्ध भुईंहरी गांवों में संघर्ष और विद्रोह तेज हो गया. यह संघर्ष जमींदारों, अंग्रेजों और भुईंहरी परिवारों के बीच चलने लगा. इलाका अंशात हो गया. इसके उपरांत अंग्रेजों ने सन् 1869 में एक कानून बनाया, जिसे छोटानागपुर टेनयोर एक्ट के रूप में जाना जाता है. और यह कानून 1869 में 2482 भुईंहरी मौजा के लिए लागू किया गया. छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट 1908 में भी भुईंहरी अधिकार को बनाये रखा गया. और इस जमीन की खरीद बिक्री पर लोग रोक लगायी गयी है.