प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: जिस तरह से हजारीबाग में लोकसभा चुनाव की खुमारी जनता के बीच सिर चढ़ कर बोल रही है, उससे तो यहीं पता चल रहा है कि हजारीबाग में गर्मी का तापमान भी उसके सामने फीका महसूस पड़ रहा है. पिछले दिनों के घटनाक्रम पर अगर नजर डालें तो ज्ञात होता है कि राजनीतिक पार्टी का सांगठनिक ढांचा कैसा होना चाहिए. चुनाव तो कई दल लड़ते हैं, लेकिन कौन कितने अनुशासन में रह कर चुनाव की तैयारी करता है और लड़ता है वह बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. जिस प्रकार से हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र में भाजपा और इंडी गठबंधन के कार्यकर्ता चुनावी सभा के दौरान अपना काम कर रहे हैं, उसका मैसेज भी जनता के बीच खूब जा रहा है. लोग इसे लेकर बातें भी कर रहे है. मंच पर लगी कुर्सियां भी पार्टी के अनुशासन को बयां करती हैं. हर नेता का अपना महत्व होता है. क्षेत्र के हिसाब से महत्व बदलता रहता है. क्षेत्र की जनता अपने नेता का सम्मान देखना चाहती है. वह उसे मंच पर सही स्थान प्राप्त करते भी देखना चाहती है. लेकिन यह हर दल की व्यवस्था निर्धारित करने वाले समझ नहीं पाते. जो समझ जाता है, वह बमक जाता है. जो ना समझा वह धूमिल हो जाता है.
चिलचिलाती धूप में समर्थकों का समर्पण बहुत कुछ बयां कर देता है
हजारीबाग के भाजपा प्रत्याशी मनीष जयसवाल और कांग्रेस प्रत्याशी जेपी पटेल के नामांकन के दौरान जिस प्रकार से जनता का उत्साह देखा गया, उससे आभास होता है कि हवा का रुख क्या है. जिस प्रकार से भाजपा की सभाओं में मेला सरीखी भीड़ आ रही थी, उससे पता चलता है कि भाजपा की जड़ें कितनी गहरी होती चली जा रही है. भाजपा के कार्यकर्ता किस लगन और उत्साह से जमीनी स्तर काम कर रहे है. चिलचिलाती धूप में भी जनता के समर्पण की सिरे से नकारा नहीं जा सकता. दो मुख्य प्रत्याशियों की सभा की बात को जाये तो भाजपा की सभा में जो भीड़ उमड़ रही है, वह अंत तक मंच के करीब बनी रह रही. इतनी धूप में भी भाजपा के समर्थकों का समर्पण देखते ही बन रहा था. वहीं इंडी गठबंधन की सभाओं की बात की जाये तो चिलचिलाती धूप में समर्थक बिखरे नजर आते है. यहां सबसे पहली लड़ाई तो सिर चकरा देने वाली गर्मी से है, उसके बाद प्रत्याशियों से है. यहां यह भी नोटिस किया जा रहा है कि किनके समर्थकों में धूप से लड़ने को ज्यादा ताकत है.
बुधवार को नामांकन के बाद हजारीबाग के भाजपा प्रत्याशी मनीष जयसवाल और कांग्रेस के प्रत्याशी जेपी पटेल के पक्ष में अलग-अलग जगहों पर सभा हुई. जेपी पटेल की सभा जिला स्कूल मैदान में हुई, वहीं मनीष जयसवाल की सभा कर्जन साउंड स्टेडियम में हुई. जेपी पटेल की सभा में मंच पर मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन, कांग्रेस विधायक दल के नेता और मंत्री आलमगीर आलम, मंत्री बत्रा गुप्ता, मंत्री बादल पत्रलेख, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश ठाकुर, गिरिडीह के झामुमो प्रत्याशी मथुरा महतो, कांग्रेस के प्रत्याशी जेपी पटेल और यशवंत सिन्हा, अंबा प्रसाद, उमाशंकर अकेला मुख्य रूप से उपस्थित थे. यहां समय को ध्यान में रखते हुए सभी ने अपनी-अपनी बातें रखी.
सभास्थल का दृश्य
जिला स्कूल मैदान में महागठबंधन की सभा में एक टेंट लगाया गया था. उसमें चालीस प्रतिशत जगह में लाल रंग की कुर्सियां लगाई गई थीं. साठ फीसदी जगह खाली थी. मंच के दायीं ओर मैदान में कुछ पेड़ के किनारे लगभग तीन सौ लोग कुर्सी लगा कर जहां-तहां बैठे थे. सभास्थल पर लोगों का आना जाना लगा रहा. जितने लोग सभा स्थल पर होंगे, उससे लगभग आधी संख्या में लोग सभा स्थल से दूर जहां-तहां घूम रहे थे. कुछ झील की तरफ घूमने निकल गये थे, तो कुछ लौटने लगे थे, जबकि सभा मंच से अभी किसी बड़े नेता का भाषण नहीं हुआ था, लोग मंच पर आ गये थे. सभास्थल पर कुछ लोगों के हाथ में कांग्रेस का झंडा था. बाहर से आयी गाड़ियों में झंडा लगा था. उस सभा में सबसे ज्यादा गौर करनेवाली बात जो लगी, वह यह कि झामुमो का झंडा मुश्किल से दिख रहा था. हां मंच पर जरूर झामुमो का झंडा लगा था.
सभास्थल के मंच पर स्टार प्रचारकों के साथ-साथ स्थानीय नेताओं का जमावड़ा लग गया था. सभी कुर्सी पर बैठ गये थे. काफी संख्या में खड़े भी थे. कहने का मतलब यह कि मंच पर जाने के लिए कोई क्रेटेरिया निर्धारित नहीं थी, जिसकी पहुंच , वह पहुंच गया, बाकी बाहर नीचे रह गए. यहां एक बात और साफ देखी गयी कि सभास्थल पर आनेवाले लोगों को बैठाने के लिए कोई नही था. जिसका मन किया, वह बैठा जिसका मन किया वह चलते बने. भीड़ तितर-बितर थी. जेपी के पक्ष में हुई सभा के पास आसानी से वाहन से जाया सकता था. कह सकते हैं कि सड़क किनारे गाड़ियों की संख्या कम हो होने के कारण परेशानी नहीं रही थी. हां यहां पुलिस की मुश्तैदी ज्यादा देखने को मिली, कार्यकर्ताओं की नहीं.
कर्जन ग्राउंड में भाजपा प्रत्याशी मनीष जयसवाल की सभा थी. वहां करीब आठ-दस हजार कुर्सियां लगायी गई थीं. मंच पर आगे की कतार में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा, बाबूलाल मरांडी, आजसू नेता चंद्रप्रकाश चौधरी, मनीष जयसवाल, मनोज यादव सहित बहुत सारे स्थानीय नेता मंच पर अपनी-अपनी कुर्सी पर बैठे हुए थे. बीच-बीच में सम्मानित करने का कार्यक्रम भी चल रहा था. सबसे अंत में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का भाषण हुआ. यहां एक बात गौर करनेलायक है कि पंडाल में जो भीड़ बैठी थी, वह अंत तक बैठी रही. जो कार्यकर्ता जहां खड़ा था, वह वहां खड़ा रहा. सभा में शामिल होने आये लोगों को बैठाने से लेकर किनारे खड़ा करने तक सब कुछ व्यवस्थित तरीके से कार्यकतों कर रहे थे. सभास्थान के आसपास सड़क के दोनों तरफ वाहनों को व्यवस्थित तरीके से लगाया गया था. चाकी वाहन मेन सड़क पर देनों तरफ बाकी मैदान में खाली जगह में पार्क हुए थे.
वाहनों को पार्क कराने के लिए भी कार्यकर्ता मुश्तैद थे, ताकि किसी को परेशानी नहीं ही. यहां एक बात और गौर करने लायक थी कि जो भी कार्यकर्ता या समर्थक सभा में शामिल होने आ रहे थे से उनमें से अस्सी फीसदी लोगों के माथे पर गेरुवा गमछा और बाकी के गले में पटका लटका था। यहां भाजपा, आजसू, जदयू, लोजपा चिराग और लोजपा पारस गुट के झंडे कार्यकर्ताओं के हाथों में दिखे. यहां गर्मी से बचने के लिए पानी की व्ययवस्था की गयी थी। बगल में एक बड़ा सा पंडाल बना था. पूछने पर पता चला कि कार्यकर्ताओं-समर्थकों के खाने की व्यवस्था की गयी है. कार्यक्रम खत्म हुआ. सभा मंच से उतरने पर बाबूलाल मरांडी और भजनलाल शर्मा के पीछे मीडिया का हुजूम लग मीडियाकर्मियों ने उन लोगों से सवाल जवाब किए. उन्होंने जवाब भी दिए. दस मिनट तक यह सिलसिला चलता रहा.
कार्यकर्ताओं और समर्थकों को कनेक्ट करने की जरूरत दिखी कांग्रेस में
दोनों उम्मीदवारों की अगर बात की जाए, तो सभास्थल पर भाजपा के उम्मीदवार मनीष जयसवाल काफी उत्साहित नजर आ रह थे. वह हंसते हुए भी नजर आये और हाथ जोड़ते हुए भी वह बीच-बीच में हाथ हिला कर लोगों का अभिवादन भी स्वीकार कर रहे थे. उनकी तुलना में जेपी पटेल का उत्साह जरा फीका दिखाई पड़ा. ऐसा नहीं है कि जेपी पटेल को कम आंका जा सकता है, ऐसा करना अभी बड़ी भूल होगी. लेकिन फिलहाल जो ग्राउंड पर नजर आ रहा है, उससे यही लगता है कि कांग्रेस को भाजपा के मुकाबले और ताकत लगाने और समर्पण की जरूरत है. कांग्रेस की सबसे बड़ी कमी कार्यकर्ताओं से कनेक्ट होने में दिखी. समर्पण का भी अभाव दिखा.
मनीष जयसवाल के साथ प्लस पॉइंट यह है कि यह काफी मिलनसार प्रवृत्ति के व्यक्ति है. वह बड़ी आसानी से आम लोगों के साथ भी घुल मिल जाते है. लोगों का मानना है कि वह अपनी समस्याओं को मनीष जयसवाल के सामने आसानी से रख सकते हैं और दबाव भी बना सकते हैं कि उनका काम हो सके. वहीं जेपी पटेल को कई दलों के समर्थकों को एक साथ साधने की चुनौती है. कांग्रेस हजारीबाग में सांगठनिक रूप से बहुत कमजोर है. वह झामुमो के दम पर ही झारखंड में अस्तित्व में है. अगर झामुमो का साथ उसको नहीं मिला तो उसका हाल ठीक उत्तरप्रदेश वाला हो जायेगा. जेपी पटेल को और एनर्जी के साथ मैदान में बंटा रहना पड़ेगा. उनकी जो परेशानी सामने आ रही है, वह शायद यह है कि जब वह झामुमो से भाजपा में चले गए थे, तो झामुमो के लोगों से उनकी दूरी काफी बढ़ गई थी. अब वह जब कांग्रेस में शामिल हुए और प्रत्याशी बने, तो झामुमो समर्थकों के साथ का रिश्ता सुधरे नहीं और यहां कांग्रेस समर्थकों और कार्यकर्ताओं में जज्बे का अभाव दिख रहा है. उन्हें इस चुनाव में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ-साथ झामुमो के लोगों को भी पूरी तरह एक्टिव करना होगा.