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रांचीः आज 29 सितंबर है यानी शारदीय नवरात्र का चौथा दिन है. इस दिन मां दुर्गा के चौथे रुप यानी मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है, हिंदु धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सृष्टि की रचना देवी कुष्टमांडा ने की थी इसलिए इन्हें सृष्टि का आदि रुप आदिशक्ति भी कहा जाता है. बता दें, मां कुष्मांडा अपने भक्तों के रोगों और कष्टों का नाश करती है, मान्यता है कि देवी की पूजा करने से आयु, यश, बल और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है. वहीं विधि-विधान से पूजा करने से मां कुष्मांडा की कृपा अपनी भक्तों पर बनी रहती है.
मां कुष्मांडा की सूर्य के समान तेज आठ भुजाएं होती है इसलिए उन्हें अष्टभुजा के नाम से भी जाना जाता है. मां के एक हाथ में जापमाला होती है, वहीं देवी कुष्मांडा अपने अन्य सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत पूर्ण कलश, चक्र और गदा पकड़ी हुई हैं. मां का वाहन सिंह है. ऐसी मान्यता है कि देवी का निवास स्थान सूर्यमंडल के मध्य है. इसलिए देवी सूर्य के समान तेज है. आइए आपको बताते है मां कुष्मांडा को भोग में क्या चढ़ाएं, पूजा विधि और मंत्र के बारे..
मां कुष्मांडा का भोग
मां कूष्मांडा को भोग में मालपुआ चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि इस भोग को लगाने से मां कुष्मांडा प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखती हैं.
मां कुष्मांडा पूजा विधि
- सबसे पहले स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं.
- इसके बाद मां कुष्मांडा का ध्यान कर उनको धूप, गंध, अक्षत्, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें.
- इसके बाद मां कुष्मांडा को हलवे और दही का भोग लगाएं. आप फिर इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं.
- मां का अधिक से अधिक ध्यान करें.
- पूजा के अंत में मां की आरती करें.
देवी कूष्मांडा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कुष्मांडा रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: