न्यूज11 भारत
बोकारोः एक तरफ मरीजों को अस्पताल से दवाएं नहीं मिलतीं, मरीजों के परिजन बाहर से दवा खरीदने को विवश हैं. वहीं बोकारो सदर अस्पताल में लाखों की जीवनरक्षक दवाएं टॉयलेट में बंद कर सड़ा दी गई. न्यूज11 भारत ने जब इसकी पड़ताल करने मौके पर पहुंची तो वहां ये दवाएं पेटियों में बंद थीं और जमीन पर फेंकी हुई पाई गई. बता दें कि ये सभी दवाएं एक्सपायर्ड हो चुकी थीं. बोकारो सदर अस्पताल वार्ड के बगल में एक टॉयलेट में भरकर इन सभी जीवन रक्षक दवाइयों को एक्सपायर कर दिया गया. जब इस मसले को लेकर सदर अस्पताल बोकारो के उपाधीक्षक डॉ संजय कुमार से बात की गई तो उन्होंने टॉयलेट में एक्सपायरी दवाई रखे होने से ही इंकार कर दिया. जब उनसे एक्सपायरी दवाइयों की जानकारी की मांगी गई तो, उन्होंने कहा कि ऐसी कोई जानकारी उनके पास नहीं है. क्योंकि वह पूर्व के उपाधीक्षकों का मामला हो सकता है, हालांकि जब उन्होंने वीडियो देखा तो कहा कि यह सभी दवाइयां जीवन रक्षक दवाइयां हैं.
बोकारो सिविल सर्जन ने क्या कहा?
इस मसले को लेकर जब बोकारो के सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जानकारी आपके माध्यम से मिली है. सदर अस्पताल के उपाधीक्षक को मामले की जांच करने को कहेंगे. सिविल सर्जन ने बताया कि शॉर्ट टर्म एक्सपायरी की दवाई खरीदने और राज्य मुख्यालय से सप्लाई होने के कारण यही स्थिति उत्पन्न होती है. उन्होंने कहा कि अब देखना होगा कि दवाई कब आई थी और एक्सपायरी कैसे हुई है.
उपाधीक्षक को इसकी जानकारी नहीं
जानकारी के मुताबिक इन दवाइयों की खरीददारी, देखरेख और स्टॉक की पूरी जबाबदेही सदर अस्पताल में तैनात एक ही फार्मासिस्ट को है. बावजूद इसके सदर अस्पताल के उपाधीक्षक को इसकी जानकारी नहीं होना कई तरह के सवाल खड़े करते हैं. जिस प्रकार से आम लोगों की गाढ़ी कमाई को सदर अस्पताल के चिकित्सक और फार्मासिस्ट के द्वारा बर्बाद किया गया. ऐसे में इसकी जवाबदेही जरूर तय की जानी चाहिए और गहराई से इसकी जांच होनी चाहिए तभी मामला स्पष्ट हो पाएगा. यह दवाई किस परिस्थिति में किस उपाधीक्षक के समय और किस फार्मासिस्ट की गलती के कारण टॉयलेट पर फेंका गया था.