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झारखंड


पहेली बना तेंदुआ, अबतक पकड़ से बाहर, ले चुका है तीन लोगों की जान, जानिए पूरी खबर

पहेली बना तेंदुआ, अबतक पकड़ से बाहर, ले चुका है तीन लोगों की जान, जानिए पूरी खबर
न्यूज़11 भारत




रांची: पिछले तीन हफ्तों से अधिक गढ़वा जिले के डेढ़ सौ से अधिक गांवों व आसपास के क्षेत्रों में आदमखोर तेंदुए का दहशत कायम है. जिले के भंडरिया, चिनियां, रंका, रमकंडा प्रखंड के 150 से ज्यादा गांवों में आदमखोर तेंदुआ से लोग खौफ और भय के माहौल में जीने को मजबूर हैं. पिछले 19 दिनों में इस आदमखोर तेंदुए ने अनेको बार मानव आबादी वाले क्षेत्र में अपना शिकार खोजने के लिए लोगों पर हमला कर चुका है. अबतक तीन मासूम बच्चों समेत चार को ये जानवर अपना शिकार कर बन चुका है ये मानव रक्त का आदि "आदमखोर तेंदुआ". मालूम हो कि गाँव वालों ने अपने आँखों के सामने अपने मासूम बच्चे को तेंदुए का शिकार बनते देखा है जिसे सुनकर आपकी रूह भी कांप जाएगी. रौशनी के सिमटते ही शाम के होते ही गांव में पसर जाता है सन्नाटा. एक तो कड़ाके की ठंड और उसपर एक अंजान शत्रु का साया जैसे गढ़वा के गांवों में एक मनहूसियत भरे सन्नाटे को आमंत्रित कर दिया है. कब कहां और किधर से तेंदुआ आ धमकेगा कोई नहीं जानता. गरीबी रेखा में गुजर बसर करने वाले ये ग्रामीण मुख्यत खेती बारी कर के ही अपनी जीविका का निर्वाह करते है ऐसे में एक अज्ञात मौत जाने किस मोड़ पर उनका इंतजार कर रही, इस डर ने उनकी जीवन रेखा को ही तहस नहस कर दिया है.




जिंदगी पर लग गया है जैसे 'अल्पविराम'

 

इन बुजुर्गों की पत्थर होती ऑंखें इस दृश्य को भुला नहीं पा रही की कैसे आंगन में खेलते उनके जिगर के टुकड़े को बिजली की स्पीड में एक जंगली जानवर मुंह में दबोच कर ओझल हो गया. अब तो आलम ये है कि गांव के लोग अपने घरों से कम से कम निकल रहे है खेतो में काम करने वाले मजदूर भी अकेले खेत में जाने से कतरा रहें. अपने बच्चों को अकेले स्वतंत्र छोड़ना इनके लिए असम्भव सा हो रहा. दिन रात इस खौफ से गाँव वाले डर रहे की कहीं किसी ओर से आदमखोर जानवर हमला ना कर दे. गांव के स्कूलों में भी टीचर पढ़ाने से अधिक बच्चों की देखभाल कर रहे हैं . तेंदुए के खौफ ने इस जिले के लोगों की जिंदगी को जैसे रोक दिया है. 

 


 

बच्चों के खून का प्यासा आदमखोर हत्यारा 

 

इस आदमखोर तेंदुए की कहानी शुरू होती है रादो गांव में 14 दिसंबर की शाम से जब 5 वर्ष के बालक विक्रम अपने घर के समीप की दूकान से बिस्किट के कर घर लौट रहा था. घर पर उसके और चार भाई बहन बिस्किट और अपने भाई का इंतजार कर  रहे थे. विक्रम घर पहुंचने ही वाला था की अचानक तीव गति से एक तेंदुआ आया और विक्रम की गर्दन को अपने जबड़े में दबा कर फुर्ती से जंगल की ओर चला गया. इस घटना को विक्रम के पडोसी ने देख लिया और चिल्लाने लगा जिसे सुनकर लोग इकठ्ठा हुए और ढलते अंधेरे में विक्रम को खोजने निकलते है लेकिन अंधेरे के कारण उसका कुछ पता नहीं चलता है. इसके बाद सुबह गाँव के ही स्कूल के बाहर विक्रम का एक पैर आधा खाया हुआ मिलता है. इस आदमखोर तेंदुए ने बालक विक्रम के सभी अंगो को खाने के बाद केवल एक पैर छोड़ दिया. अभी इस गाँव के लोग विक्रम की घटना से उबरे भी नहीं थे की ठीक छः दिन बाद रादो गाँव से लगभग 40 किलोमीटर दूर सेवाडीह नामक गाँव में छः साल की बच्ची को भी इस आदमखोर तेंदुए ने अपना शिकार बनाया. अपने बड़े भाई के साथ खेल रही बच्ची को तेंदुए ने उसके भाई की आँखों के सामने से ही उठा कर मुंह में दबाकर भाग गया. भाई के चिल्लाने की आवाज सुनकर बच्ची के पिता गांववालों के साथ जानवर के पीछे दौड़े जिससे तेंदुआ बच्ची को छोड़ कर भाग गया परन्तु बालिका की सांसे तबतक थम चुकी थी. इसी प्रकार 12 वर्षीय हरेन्द्र को भी इस मानव रक्त पिपासु आदमखोर तेंदुए ने अपना शिकार बनाया. जिसके बाद लोगों ने तेंदुए के डर से अपने बच्चों को अकेला छोड़ना या स्कूल भेजना लगभग बंद कर दिया है.

 

साँझ ढलते ही घरों के दरवाजे हो जाते है बंद 

 

किसी पुरानी रहस्यमयी हारर फिल्म की कहानी की तरह ही साँझ ढलते  सन्नाटा पसर जाता है जो जहां है वहीं रुक जाता है. लोग सूर्य के डूबने से पहले अपने सभी कम छोड़ कर  सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए दौड़ पड़ते है. इस गाँव में दहशत का आलम ये है की सूर्य के डूबते ही घरों में सिमटने लगती है जिंदगी. रात को शौच के लिए भी नहीं निकल रहे है लोग. कमरे में ही किसी तरह शौच कर रहे है गांववाले. आलम ये है कि दिन में भी अकेले चलने से लोग घबरा रहे है.  जरुरी कारणों से यदि निकलना पड़ें तो लोग समूह बना कर ही निलकने के लिए प्रसरत है.

 

अबतक नहीं आई कोई तस्वीर, ड्रोन भी हुआ फेल  

 

ऐसा नहीं है कि प्रसाशन इस घटना से अनभिज्ञ है, वन विभाग को पूरी जानकारी है की इलाके में आदमखोर तेंदुआ बच्चों को अपना शिकार बना रहा साथ ही सभी लोगों को इस जानवर से जान का खतरा है . बावजूद इसके अबतक तेंदुआ वन विभाग की पहुंच से बाहर है. पहुंच में आना तो दूर की बात है 20 दिनों से आतंक मचने वाले इस तेंदुए की अबतक कोई तस्वीर सामने नहीं आ सकी है. तेंदुए को ट्रेस करने के लिए वन विभाग ड्रोन कैमरे की मदद ले रहा है. लेकिन ड्रोन भी अबतक तेंदुए की तस्वीर नहीं ले सका है. बता दें तेंदुआ को आदमखोर घोषित किया जा चुका है. इसे पकड़ने या मरने के लिए हैदराबाद से मशहूर शूटर नवाब शफात अली खान को बुलाया गया है. लेकिन विभाग के पास तेंदुए के पद चिन्ह के आलावा कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.  वन विभाग के अधिकारी शशि कुमार ने जानकारी दी की पिछले दो हफ्ते से इस गम्भीर मामले पर हम दिन रात काम कर रहे है. गाँव में हमारे गार्ड तैनात है. तेंदुए को पकड़ने के लिए तीन पिंजड़े भी मंगवाएं है जो की आधुनिक तकनीको से लैस है ये पिंजड़े उन खेत्रो में लगाए जायेंगे जहा पर तेंदुए को आखिरी बार देखा गया था. इसके अलावा इस मामले के एक्सपर्ट शफत अली खान और उनकी पूरी टीम भी होंगी यदि तेंदुए को नहीं पकड़ सके तो उसे मारने  की भी इजाजत है हम जल्द ही उसे या तो पकड़ लेंगे या मार गिराएंगे.

 

बता दें तेंदुआ एक रात में शिकार करने वाला प्राणी है. वह अपनी तय सीमा में मिलने वाले छोटे व शाकाहारी प्राणियों का शिकार करना पसंद करता है. जैसे खरगोश ,जंगली सूअर, हिरण, बंदर, बबून इत्यादी. इसे मानव बस्ती में पाए जाने वाले पालतू कुत्ते का मांस खाना बहुत पसंद होता है. यह बहुत ही शातिर तरीके से मानव बस्ती में प्रवेश करके कुत्ते, बकरी, मेमना या भेड़ को मारकर जंगल में ले जाते है. लेकिन इस बार तेंदुआ इंसानों का शिकार कर रहा है जिसके कारण गढ़वा जिले के ग्रामीण क्षेत्र में ये लोगों के दहशत का कारण बना हुआ है.
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