न्यूज11 भारत / दीपक
रांचीः झारखंड में अवैध खनन और ट्रांसपोर्टेशन का मामला अभी थमा नहीं है. इसी बीच एक और बड़ा मामला सामने आया है. कोरोना काल के दौरान कोडरमा जिले में 94 एकड़ से अधिक वन, नाला, झाड़ी की जमीन समेत खासमहाल की लीज की जमीन बेच दी गयी है. इसकी अवैध जमाबंदी भी खोल दी गयी है. इसके लिए फर्जी हुकुमनामे का उपयोग किया गया. अब इनके नाम से लगान रसीद भी काटी जा रही है. पूरे प्रकरण में तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन और रमेश घोलप का नाम सामने आ रहा है. इतना ही नहीं जिले के एलआरडीसी, अपर समाहर्ता, कोडरमा और चंदवारा अंचल के अंचल अधिकारी की मिलीभगत सामने आयी है. इसको लेकर झारखंड हाईकोर्ट में भी मामला दर्ज किया गया है. दो सौ करोड़ रुपये का अवैध लेन-देन जमीन की नयी जमाबंदी खोलने में की गयी है. जानकारी के अनुसार, यह जमीन रांची-पटना राष्ट्रीय उच्च पथ के बगल की जमीन है. यह जमीन कोडरमा जिला मुख्यालय से तीन से चार किलोमीटर तक की दूरी पर है. रांची-पटना राष्ट्रीय उच्च पथ से सटी हुई इस जमीन पर कब्जा किया जा चुका है. अब यहां लाइन होटल, कंक्रीट स्ट्रक्चर, होटल और अन्य इमारतें खड़ी कर ली गयी है, इतना ही नहीं एक ही परिवार के कई लोगों के नाम से जमीन का बंटवारा भी कर दिया गया है.
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कोडरमा के चंदवारा अंचल के मौजा मायाडीह में है यह जमीन
कोडरमा जिले के चंदवारा के मौजा मायाडीह की यह जमीन है. इसमें खाता संख्या 10 के 32 प्लाट शामिल हैं. प्लाट संख्या 1 जो सरकारी जंगल है और इसका कुल रकबा 53.92 एकड़ है. इसे जमीन बिचौलियों ने पूरी तरह कब्जा कर इमारत खड़ी कर ली है. रिट याचिका 2792 ऑफ 2021 के जरिये याचिकाकर्ता अरविंद कुमार सिंह ने पूरे मामले की जांच की मांग करते हुए दोषी उपायुक्तों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है. इसमें कहा गया है कि जिला प्रशासन की मिलीभगत से भूमि माफियाओं ने सारी गड़बड़ी की है. यह गड़बड़ी 2016 के बाद की है. स्थानीय लोगों ने प्रगतिशील संघ बना कर खुद से झारखंड हाईकोर्ट जाने की पहल की. हाईकोर्ट में दायर याचिका में मुख्य सचिव, वन पर्यावरण और परिस्थिकीय संतुलन विभाग के सचिव, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव, कोडरमा के 2016 के बाद के सभी उपायुक्त, अपर समाहर्ता कोडरमा और चंदवारा केसीओ को पार्टी बनाया गया है. याचिका में कहा गया है कि भूमि माफियाओं की तरफ से जमीन बेचे जाने का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन नहीं है. याचिकाकर्ता का कहना है कि कोई भी अंचल अधिकारी और जिला प्रशासन के वरीय अधिकारी गैर मजरुआ भूमि, गैर मजरुआ जंगल की जमीन के रिकार्ड की रखवाली करते हैं. पर इनके सामने ही जमीन माफिया तत्व के लोगों ने जमीन की जमाबंदी कराकर निर्माण कराया. रिकार्ड ऑफ राइट में यह जमीन सरकारी खाते से जुड़ी है. इसके खेवट-2 में जमीन को परती जंगल, परती कदीम, परती गड्ढा, परती नाला और परती पत्थर दिखाया गया है. एक सुनियोजित साजिश के तहत वन विभाग ने जमीन को हड़प लिया है.
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रजिस्टर-2 की प्रति भी की गया है संलग्न
हाईकोर्ट में फाइल याचिका में रजिस्टर-2 की जो प्रति लगायी है. उसमें स्पष्ट है कि खाता संख्या 10, खेवट नंबर-2, थाना चंदवारा की जमीन की चौहद्दी शून्य दिखायी गयी है. इसमें जमीन का नेटर परती जंगल 53.90 एकड़ दिया गया है. इसमें यह भी कहा गया है कि गैर मजरुआ भूमि को खूबलाल सिंह, कामेश्वर सिंह और अन्य के द्वारा 10 एकड़ जमीन हथिया ली गयी है. इसकी शिकायत भी कोडरमा डीसी को सात फरवरी 2020 को की गयी थी. सभी जमीन के लिए फर्जी हुकुमनामा बनाया गया था. इसके बाद पंजी-2 में नाम दर्ज कराकर लगान रसीद निर्गत की गयी. जंगल, नाला, पत्थर, चट्टान, पानी-गड्ढा की जमीन की गलत तरीके से जमाबंदी की गयी. एक ही समुदाय के लोगों को 53 एकड़ जमीन दी गयी. इसमें से कई जगहों पर घेराबंदी भी की गयी है और एग्रीमेंट कर उसे बेचा जा रहा है. चंदवारा सीओ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि खाता संख्या 10 की पांच एकड़ जमीन की जमाबंदी छत्रधारी सिंह, लालो सिंह, पुनीत सिंह के नाम से की गयी है.
चंदवारा सीओ ने अपने हलफनामे में कही है कई बातें
दायर रिट याचिका 2792 ऑफ 2021 में चंदवारा के अंचल अधिकारी ने हलफनामा दर्ज किया है. राम रतन कुमार वरनवाल ने अपने हलफनामे में कहा है कि सरकार की तरफ से खाता 10 की भूमि पर किसी प्रकार का दखल नहीं किया गया है. याचिकाकर्ता को अपनी याचिका में सरकार की बजाय जमीन बिचौलियों को पार्टी बनाया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा है कि यह याचिका सुनने योग्य ही नहीं है. अपने जवाब में उन्होंने यह भी कहा है कि अंचल कार्यालय और जिला प्रशासन के वरीय अधिकारियों की यह जिम्मेवारी है कि वे सरकारी भूमि की रक्षा करें, गैर मजरुआ खास स्तर की भूमि पर अवैध कब्जे को हटायें. उधर अपने जवाब में सीओ ने यह भी कहा है कि सरकार के स्तर से जमीन कब्जा करनेवाले लोगों पर अवैध कार्रवाई भी की जानी चाहिए.