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झारखंड » जमशेदपुर


अति महत्वाकांक्षा ले डूबी कुणाल को, ना इधर के रहे ना उधर के..

अति महत्वाकांक्षा ले डूबी कुणाल को, ना इधर के रहे ना उधर के..
मुजतबा हैदर रिजवी/ न्यूज11भारत

जमशेदपुर/डेस्क:-राजनीति में अति महत्वाकांक्षा खतरनाक मानी जाती है. भाजपा नेता कुणाल षाड़ंगी इसी अति महत्वाकांक्षा के शिकार हो गए हैं. अति महत्वाकांक्षा भाजपा नेता कुणाल षाड़ंगी के सियासी करियर को ले डूबी. अब हालात ऐसे हैं कि वह ना इधर के रहे और ना उधर के रहे. 

 

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कुणाल षाड़ंगी किसी भी कीमत पर सांसद बनना चाहते हैं. इसी जल्दबाजी में उन्होंने भाजपा से लोकसभा के टिकट के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया. पहले तो उन्होंने दिल्ली के चक्कर लगाने शुरू किए. प्रदेश स्तरीय नेताओं को भी साधा. क्षेत्र में भी मतदाताओं को रिझाना शुरू किया. पटमदा, बोड़ाम और पोटका हर तरफ हाथ-पैर मार रहे थे. लेकिन, जब भाजपा ने सांसद विद्युत वरण महतो पर ही भरोसा जताया तो कुणाल ने हार नहीं मानी. 

 

विधायकों का विरोध पड़ा भारी 

कुणाल षाड़ंगी ने झामुमो से टिकट हासिल करने की कवायद शुरू की.  बताते हैं कि उनका काम होते-होते रह गया. झामुमो के नेताओं को उन्होंने साध लिया था.   झामुमो में उनका टिकट पक्का भी हो गया था.  कुणाल षाड़ंगी की झामुमो में वापसी होने ही वाली थी कि कुछ विधायकों ने इसका विरोध कर दिया. इससे कुणाल षाड़ंगी का बना हुआ खेल बिगड़ गया.  बताते हैं कि इसके बाद भी कुणाल झामुमो से टिकट पाने की जुगत लगाने में जुटे रहे.  लेकिन, उनकी सियासी दाल नहीं कर पाई.  

 

समीर मोहंती से है राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता 

बहरागोड़ा के विधायक समीर मोहंती उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं. समीर मोहंती जब भाजपा में थे तो उन्हें भाजपा से बहरागोड़ा विधानसभा में साल 2019 के चुनाव में टिकट मिलना था. लेकिन कुणाल षाड़ंगी ने अड़ंगा लगा दिया. कुणाल षाड़ंगी भाजपा में पहुंच गए और बहरागोड़ा विधानसभा सीट के लिए साल 2019 में अपना टिकट पक्का कर लिया. इससे समीर मोहंती बेहद नाराज हुए. उन्हें अपने अरमान खत्म होते नजर आए. लेकिन, इसी बीच उन्होंने झामुमो से संपर्क साधा और फिर समीर मोहंती को झामुमो से टिकट मिल गया. 

 

अब सियासी हाशिए पर कुणाल 

मतदाताओं के बीच लोकप्रिय समीर मोहंती ने साल 2019 के विधानसभा चुनाव में कुणाल षाड़ंगी को 60000 से अधिक मतों से पराजित कर दिया. तभी से दोनों के बीच कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता चली आ रही है. कहा जा रहा है कि पार्टी झामुमो कुणाल षाड़ंगी को जमशेदपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाना चाहती थी.  हर तरफ यही चर्चा थी कि कुणाल षाड़ंगी लड़ेंगे तो भाजपा के उम्मीदवार सांसद विद्युत वरण महतो को कड़ी टक्कर मिलेगी. लेकिन, बहरागोड़ा के विधायक समीर मोहंती इस जिद पर अड़े थे कि कुणाल षाड़ंगी को पार्टी में ना लिया जाए. झामुमो के सूत्रों के मुताबिक बाद में समीर मोहंती खुद चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गए और पार्टी ने बहरागोड़ा के विधायक समीर मोहंती को टिकट दे दिया. 

 

भाजपा के कार्यक्रम में नजर नहीं आते कुणाल 

इधर बीच, भाजपा के पार्टी जिला कार्यालय में कई कार्यक्रम हुए. बाबा भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई गई. कई प्रदेश स्तरीय नेता पहुंचे. मीटिंग का दौर चला. विधानसभा क्षेत्र वार मीटिंग हुई. लेकिन पार्टी सूत्रों के मुताबिक कुणाल षाड़ंगी कहीं नजर नहीं आए. 

 

दिल्ली भेज दिया गया है कच्चा चिट्ठा 

सूत्रों के अनुसार कुणाल षाड़ंगी की राजनीतिक गतिविधियों का पूरा कच्चा चिट्ठा दिल्ली भेज दिया गया है. बताते हैं कि कुणाल की सियासत से दिल्ली में बैठे पार्टी के शीर्ष नेता काफी नाराज हैं. इसी के चलते कुणाल किनारा किए हुए हैं.  झामुमो से टिकट नहीं मिलने और उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी समीर मोहंती को टिकट मिल जाने से कुणाल सियासी हाशिए पर चले गए हैं. भाजपा में भी उनकी स्थिति डांवाडोल है. सूत्रों की मानें तो अब कुणाल इस बात को लेकर मंथन कर रहे हैं कि आखिर सियासत में कैसे बने रहा जा सके.
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