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आदिवासी धर्म कोड को लेकर दिल्ली में दस्तक: जंतर-मंतर में महाधरना, कई राज्य के आदिवासी हुए शामिल

धरना के बाद गृह मंत्री और महारजिस्टार जनरल ऑफ इंडिया को सौंपा गया ज्ञापन
आदिवासी धर्म कोड को लेकर दिल्ली में दस्तक: जंतर-मंतर में महाधरना, कई राज्य के आदिवासी हुए शामिल
न्यूज11 भारत 




रांची: आदिवासी-सरना धर्म कोड को लेकर अब आर-पार की लड़ाई शुरू हो चुकी है. धर्म कोड की मांग को लेकर दिल्ली में दस्तक देना शुरू हो गया है. अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद के बैनर तले दिल्ली के जंतर-मंतर पर महाधरना का कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें झारखंड सहित छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश,उड़ीसा, गुजरात, महाराष्ट्र,आसाम अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र,आंध्र प्रदेश तेलंगाना,अरुणाचल प्रदेश मेघालय आदि प्रदेशों के आदिवासी समाज के धर्म अगुवा  शामिल हुए. धरना के बाद एक ज्ञापन गृह मंत्री और महारजिस्टार जनरल ऑफ इंडिया को एक ज्ञापन सौंपा गया. 

 

मोदी सरकार संज्ञान नहीं लिया तो देश भर में तेज होगा आंदोलन

 

महाधरना को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि आदिवासी धर्म कोड लेना मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है. भारत सरकार आदिवासियों के धर्म कोड कि मामले पर पर अनदेखा कर रही है. यदि मोदी सरकार आदिवासियों के धर्मकोड पर संज्ञान नहीं लेती है तो पूरे देश भर में सरकार के खिलाफ जन आंदोलन तेज किया जाएगा. 

 


 

15 करोड़ आदिवासियों को धर्म कोड से वंचित रखना उचित नहीं

 

राष्ट्रीय महासचिव प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि भारतवर्ष में आदिवासी समाज प्राकृतिक पूजक है और आदिवासियों की जनसंख्या हिंदू मुस्लिम की जनसंख्या के बाद ततीय स्थान पाया जाता है. जबकि पूरे भारतवर्ष में हिंदू, मुस्लिम, सिख,ईसाई बौद्ध जैन यदि लोगों का अपना धर्म कोड है. इस देश में 781 प्रकार के जन जातियां पाई जाती है. सभी समुदाय अपने अपने क्षेत्र में कोई सरना,सारी,यादी, भीली, गोंडी बिरसाईत, खासी, कोयापुनेम, साफा होड़, डोनीपोलो, सनमाही, खासी,यादि यादी अपने-अपने क्षेत्रों में क्षेत्रीय स्तर पर आस्था रखते हैं. फिर भी आदिवासियों के साथ 15 करोड़ आदिवासियों का इस देश में धर्मकोड के नाम पर वंचित किया गया है. भारत आजाद के बाद आदिवासियों का सम्मान अभी तक नहीं मिला सभी जाति धर्म के लोग देश के राष्ट्रपति /प्रधानमंत्री बने लेकिन आदिवासी समाज को अभी तक जगह नहीं दिया गयाl 2024 में भारत को आदिवासी राष्ट्र घोषित करना होगा. आदिवासी धर्मकोड लागू करना होगा क्योंकि यह देश आदिवासियों का ही रहा है. वह इतिहास गवाह है  और आदिवासी समाज से ही देश सुरक्षित है.

 

2024 में भारत आदिवासी राष्ट्र बनेगा

 

सूर्य सिंह बेसरा ने अपने संबोधन में कहा कि मैंने झारखंड के राज्य अलग राज्य के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाया. लेकिन हम देखते हैं कि आदिवासियों को अधिकार अभी तक नहीं मिला देश में कम संख्या वाले धर्म के प्रतिनिधियों को जैसे सीख, मुस्लिम को देश के सर्वोच्च संस्था के प्रतिनिधि बनाए. लेकिन आदिवासियों को नहीं बनाया गया  है. 2024 में भारत हिंदू राष्ट्र नहीं बल्कि आदिवासी राष्ट्र बनेगा.

 

तीन महीने बाद सांसद-विधायको के खिलाफ होगा हल्ला बोल

 

तीन महीने के अंदर भारत सरकार आदिवासी धर्म कोड के लिए संज्ञान नहीं लेती है तो पूरे देश में प्रदर्शन एवं भारत बंद की घोषणा की जाएगी. अपने -अपने क्षेत्रों  में सांसदों एवं विधायकों को हल्ला बोल किया जाएगा. 

 

मांग और प्रस्ताव पारित

 

-देश के सभी आदिवासीयो के धार्मिक एवं सांस्कृतिक पहचान के लिए भारत की जनगणना प्रपत्र में आदिवासी धर्म कोड का उल्लेख अविलंब किया जाए. 

 

- देश के विभिन्न प्रदेशों में आदिवासियों के धार्मिक स्थल की रक्षा हेतु आदिवासी धार्मिक न्यास बोर्ड का गठन अभिलंब किया जाए. 

 

-देश के आदिवासियों के धार्मिक अगुवा  जैसे पाहन पुरोहित,बैगा नायके,,भूमक, बापू ठाकुर यादी को चिन्हित कर मासिक मानदेय निर्धारित किया जाए. 

 

- भारत सरकार से मांग करती है कि आदिवासियों के धार्मिक एवं सांस्कृतिक पहचान बचाए रखने के लिए नई दिल्ली में धार्मिक स्थल के नाम पर 5 एकड़ भूखंड की व्यवस्था किया जाए. 

 

-आदिवासी समाज ने पुरुष या महिला गैर आदिवासी पुरुष अथवा महिला से विवाह रचाते हैं तो उनको आदिवासी के अधिकार पर मिलने वाली सुविधा अर्थात आरक्षण सहित सभी लाभ के पद पर आरक्षण समाप्त किया जाए.
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