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छठ पूजा में खरना है खास, प्रसाद ग्रहण भी करते हैं विशेष नियम के साथ

छठ पूजा में खरना है खास, प्रसाद ग्रहण भी करते हैं विशेष नियम के साथ

न्यूज11 भारत

Chhath Puja 2021: देशभर में, खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में दिवाली के बाद छठ का महापर्व मनाया जाता है. इस साल कल यानी 8 नवंबर को नहाय-खाय के साथ छठ का शुरुआत हो गई. इसके अगले दिन (9 नवंबर 2021) यानी आज खरना होगा. छठ पूजा में खरना का विशेष महत्व होता है. खरना में छठ व्रती दिन भर का व्रत रखकर रात में खरना का प्रसाद ग्रहण करती हैं, उसके बाद पूरे 36 घंटे का व्रत शुरू हो जाता है. खरना का प्रसाद का बहुत महत्व माना जाता है, जिसे बहुत ही नियम के साथ ग्रहण किया जाता है. 


छठ में तन-मन की शुद्धि 

छठ के दूसरे दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के खरना होता है. खरना के एक दिन पहले यानी नहाय-खाय के दिन जहां तन की स्वच्छा की जाती है, वहीं दूसरे दिन खरना में मन की स्वच्छता पर ध्यान दिया जाता है. इसके बाद षष्ठी पूजन होता है और भगवान सूर्य को संध्या अर्घ्य देकर उनका आहवाहन किया जाता है. उसके अगले दिन सप्तमी को उदीयमान सूरज को अर्घ्य देकर छठ महापर्व का समापन होता है.


खरना का प्रसाद

खरना के दिन भगवान सूर्य और छठी मैय्या का पूजन किया जाता है. खना में संध्या के समय पूजा के बाद गुड़ और चावल की खीर बनाई जाती है. इसके साथ आटे की रोटी भी बनाई जाती है. ये प्रसाद मिट्टी के चुल्हे में आम की लकड़ी जलाकर बनाई जाती है. हालांकि शहरों में मिट्टी के चूल्हे की उपलब्धता न होने की स्थिति में कुछ लोग नए गैस चूल्हे पर भी इसे बनाते हैं. पर इसका खास ध्यान रखा जाता है कि चूल्हा नया हो और अशुद्ध न हो. खरना के प्रसाद से भगवान को भोग  लगाते हैं. भगवान को भोग लगाने के बाद छठ व्रती सबसे पहले प्रसाद ग्रहण करती हैं, जिसके बाद अन्य लोगों में प्रसाद को बांटा जाता है.


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खरना प्रसाद ग्रहण करने का विशेष नियम

खरना के प्रसाद विधि-विधान और पूरे नियम के साथ ग्रहण किया जाता है. इसके लिए एक विशेष नियम है. जैसा कि खरना में गुड़ और चावल की बनी खीर का भगवान को भोग लगाने के बाद सबसे पहले छठ व्रती दिन भर के व्रत के बाद इस प्रसाद का ग्रहण करती हैं. इस दौरान घर के सभी लोगों को बिल्कुल शांत रहना होता हैं. प्रसाद ग्रहण करते वक्त छठ व्रती के कान में जरा भी आवाज चली जाए तो वो खाना बंद कर देते हैं. छठ व्रती जब प्रसाद ग्रहण कर लेती हैं, उसके बाद ही प्रसाद का वितरण परिवार और अन्य लोगों में किया जाता है.


 
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