न्यूज11 भारत
रांची: झारखंड राज्य खनिज विकास निगम, जेएसएमडीसी खान विभाग की अनुषंगी इकाई है. यह शुरुआत से ही लॉस वाला निगम है. 2016 से लगातार दो साल तक विश्व की नामी गिरामी कंसलटेंसी कंपनी प्राइस वाटर हाउस कूपर को जेएसएमडीसी के 11 खदानों को पुनर्जीवित करने और उसके माइनिंग योग्यबनाने के लिए कंसलटेंट बनाया गया था. योजना भवन में इस कंपनी के अधिकारियों को हर वो सुख-सुविधाएं दी गयी थी. जिसके लिए वे योग्य भी नहीं थे. वजह थी कि झारखंड सरकार की तरफ से प्रति माह पीडब्ल्यूसी को 22 लाख रुपये कंसलटेंसी फीस दिया जाता था. इसमें जेएसएमडीसी के तथाकथित भूगर्भशास्त्री प्रवीर कुमार भी शामिल थे. जो पीडब्ल्यूसी को सलाह देने, उसकी बैठकों में शामिल होने जाते थे. ट्रांजैक्शन एडवाइजर के रूप में खदानों को चालू कराने का जिम्मा था.
2018 तक एक भी खदान को पीडब्ल्यूसी चालू नहीं करा पायी. फिर भी इस कंपनी को छह महीने का और विस्तार दिया गया. तत्कालीन खान एवं भूतत्व सचिव ने पीडब्ल्यूसी के कार्यकलापों का ब्योरा और कामकाज को लेकर रिपोर्ट भी मांगी थी. उन्होंने उद्योग विभाग से भी यह जानना चाहा था कि पीडब्ल्यूसी ने बतौर एडवाइजर कैसे सुझाव सरकार को दिये. सिर्फ दो साल में ही पीडब्ल्यूसी को 3.24 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया. खान एवं भूतत्व विभाग सचिव के सलाहकार अरुण कुमार ने बताया पीडब्ल्यूसी को दिया गया पैसा व्यर्थ ही साबित हुआ. उसकी कोई रिपोर्ट से एक भी खदान चालू नहीं हो सके.
पीडब्यूसी के खिलाफ लग रहे हैं कई आरोप
पीडब्ल्यूसी की 1.5 अरब डॉलर के घोटाले में न्यूयार्क शेयर बाजार में सूचीबद्ध भारतीय आईटी फर्म सत्यम कंप्यूटर के प्रमोटरों के साथ आलोचना की गई. पीडब्ल्यूसी सत्यमा के निदेशकों के बोर्ड को पत्र लिख्ककर कहा कि सत्यम के (पूर्व) चेयरमैन द्वारा किये गये खुलासे के कारण उसकी लेखा परीक्षा "गलत और अविश्वसनीय" करार की जा सकती है. पीडब्ल्यूसी का अमेरिकी हाथ "सत्यम की फाइलिंग का अमेरिकी समीक्षक था. नतीजतन, मुकदमा अमेरिका में दायर किया गया और पीडब्ल्यूसी को प्रतिवादी बनाया गया. सत्यम घोटाले के संबंध में प्राइसवॉटरहाउसकूपर्स के दो भागीदारों श्रीनिवास टाल्लुरी और सुब्रमणि गोपालकृष्णन को भारत के सेंट्रल इनवेस्टीगेशन ब्यूरो ने आरोपी बनाया. चूंकि घोटाला बाहर आ चुका था, सुब्रमणि गोपालकृष्णन अनिवार्य सेवानिवृत्ति की आयु तक पहुंचने के बाद सेवानिवृत्त हो गये, जबकि टाल्लुरी फर्म से निलंबन पर चल रहे हैं. भारतीय लेखा मानक एजेंसी ने 2007 के अब मृत हो चुके ग्लोबल ट्रस्ट बैंक मामले में पेशेवर लापरवाही के लिए पीडब्ल्यूसी के भागीदारों की जांच कर रही है. सत्यम की तरह, ग्लोबल ट्रस्ट बैंक हैदराबाद में स्थित था. इसी वजह से भारतीय रिजर्व बैंक ने पीडब्ल्यूसी पर पिछले एक साल से ज्यादा समय से किसी भी वित्तीय कंपनी की लेखा परीक्षा करने पर पाबंदी लगा दी है. पीडब्ल्यूसी भारत में डीएसक्यू सॉफ्टवेयर में लेखा घोटाले के साथ भी जुड़ी हुई है. जुलाई 2006 में, पीडब्ल्यूसी की जापानी सहयोगी कंपनी छाओओयामा पर दो महीने के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था. सत्यम घोटाले के कारण मुंबई स्थित स्माल इन्वेस्टर ग्रीवांसेज एसोसिएशन ने भारतीय शेयर बाजार नियामक सेबी से पीडब्ल्यूसी पर स्थायी रूप से प्रतिबंध लगाने और "केतन पारेख शेयर गड़बड़ियों" जैसे और घोटालों के आरोप में भारत में उसकी परिसंपत्तियों को जब्त करने का आग्रह किया. लेखा और बीमांकिक अनुशासन बोर्ड, जो ब्रिटेन में व्यवसाय को विनियमित करता है, ने जुलाई 2009 में पीडब्ल्यूसी की पशुधन के लेखाकंन, अपने बुरे ऋण को ठीक तरह से निपटाने में विफल होने वाले सब-प्राइम लेंडरों की जांच की घोषणा की.