अजय लाल / न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः अबकी बार 400 पार का नारा लगाने वाली बीजेपी को हजारीबाग में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. बीजेपी ने हजारीबाग से अपने विधायक मनीष जायसवाल को उम्मीदवार बनाया है. हजारीबाग संसदीय सीट बीजेपी का गढ़ माना जाता है. लेकिन बुधवार को हुए घटनाक्रम ने बीजेपी को झटका दिया है. यह झटका बीजेपी के ही विधायक जयप्रकाश भाई पटेल ने दिया है. हजारीबाग संसदीय सीट के तहत आने वाले मांडु विधानसभा से जयप्रकाश भाई पटेल विधायक हैं. जयप्रकाश भाई पटेल ने बुधवार को दिल्ली में बीजेपी को त्यागपत्र देते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया है. चर्चा है कि कांग्रेस उन्हें हजारीबाग संसदीय सीट से अपना उम्मीदवार बना सकती है.
जाहिर तौर पर जयप्रकाश भाई पटेल का कांगेस में आना बीजेपी उम्मीदवार मनीष जायसवाल के लिए संकट बढ़ाने वाला कदम है.
जयप्रकाश भाई पटेल को होमवर्क करके कांगेस ने पार्टी में लाया
जानकार बताते हैं कि जयप्रकाश भाई पटेल के कांग्रेस में आने से कई नये समीकरण बनेगा जो मनीष जायसवाल के खिलाफ जायेगा. मसलन, जयप्रकाश भाई पटेल खुद महतो समाज से हैं लिहाजा यह माना जा रहा है कि महतो समाज का वोट जयप्रकाश भाई पटेल को मिलेगा. साथ ही कांग्रेस का कैडर वोट भी जयप्रकाश भाई पटेल के पक्ष में आ सकता है. मसलन. मुस्लिम समाज का वोट यदि कांग्रेस को मिलता है तो यह वोट जेपी पटेल के खाते में जायेगा. उसी तरह आईएनडीआईए के उम्मीदवार होने के नाते उन्हें आदिवासियों का वोट भी मिलेगा. राजनीति में अंतिम सच के रूप में कुछ नहीं कहा जा सकता है लेकिन यह माना जा रहा है कि कांगेस ने होमवर्क करके ही जयप्रकाश भाई पटेल को पार्टी में लाया है.
दूसरी तरफ मनीष जायसवाल की बात करें, तो वे बीजेपी के विधायक हैं और क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड है. लेकिन वोटों का समीकरण उनके खिलाफ जा रहा है. मसलन, चुनाव के दौरान यदि 1932 के खातियान की चर्चा हुई तो यह मनीष जायसवाल की सेहत को खराब कर सकता है. हालांकि मनीष जायसवाल के पक्ष में नरेन्द्र मोदी का नाम होगा जो उनके लिए टॉनिक का काम करेगा. हजारीबाग में बीजेपी के कैडर वोटों की संख्या भी बहुत ज्यादा है. यह कैडर वोटर ना प्रत्याशी पहचानता है और ना ही कुछ और. चुनाव के वक्त ऐसे लोग सिर्फ और सिर्फ बीजेपी के चुनाव चिन्ह को याद रखते हैं और यही हवा मनीष जायसवाल के पक्ष में जायेगा. अयोध्या में हालिया घटनाक्रम का फायदा भी बीजेपी को मिलेगा. एक सच्चाई यह भी है कि बीजेपी नेता और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में रातों रात राजनीति की हवा बदलने की क्षमता है. यह क्षमता फिलहाल आईएनडीआईए के किसी नेता में नहीं दिखता. इसका फायदा मनीष जायसवाल उठाने को कोशिश करेंगे.
दूसरी बार आमने सामने होंगे मनीष और जेपी भाई
एक तथ्य यह भी है कि दूसरी बार जेपी पटेल और मनीष जायसवाल आमने सामने होंगे. 2011 के विधानसभा उपचुनाव में मांडू सीट पर जेपी पटेल और मनीष जायसवाल एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे थे. उस वक्त जेपी पटेल ने मनीष जायसवाल को हराया था.
मनीष जायसवाल की राह पर जेपी भाई पटेल ने बो दिया कांटा
हजारीबाग संसदीय सीट के तहत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इसमें शामिल है - हजारीबाग सदर, बरही, रामगढ, मांडू और बड़कागांव. इन पांच में से तीन पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी जबकि दो सीटों पर बीजेपी का कब्जा हुआ था. कब्जे वाली एक सीट मांडू जयप्रकाश भाई पटेल के पास है जो अब कांग्रेस में आ चुके हैं. मनीष जायसवाल को बरही, बड़कागांव, मांडू, रामगढ की जनता को भी साधना होगा. लब्बोलुआब यह कि मनीष जायसवाल की राह पर जेपी भाई पटेल ने कांटा बो दिया है. ऐसे में अगर मोदी का जादू नहीं चला तो पूरा समीकरण मनीष जयसवाल के खिलाफ है.