न्यूज11 भारत
रांची: वर्ष 2016 के बाद एक बार फिर से देश में नोटबंदी का ऐलान किया गया है. हालांकि, इस बार इस 2,000 रुपये के नोटों को ही बंद करने का फैसला किया गया है, और साथ ही पिछले बार के अनुभवों से सबक लेते हुए नोटों को बदलने के लिए चार माह का समय भी दिया गया है. इसी बीच 2,000 के नोट को लेकर सियासी हलचल और बयान बाजी रुकने का नाम नहीं ले रही हैं. पिछले नोटबंदी की तरह ही विपक्ष इस बार भी इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने की तैयारियों में जुट गया है, इसे मोदी सरकार की एक और नौटंकी करार दिया जा रहा है. नोटबंदी के बहाने भाजपा से सवाल दागे जा रहे है. पहले भी सीएम हेमंत सोरेन समेत छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की भी प्रतिक्रिया सामने आई थी.
इधर, सुप्रियो भट्टाचार्य ने नोटबंदी को लेकर कहा कि दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी को अर्थशाशास्त्र का बुनियादी समझ भी नहीं है, यही कारण है कि उनके द्वारा नोटबंदी के बाद उसके फायदे गिनाये जा रहे थें, और वही नौटंकी एक बार फिर से दुहरायी जा रही है. लेकिन उन्हे इस बात का जवाब देना चाहिए कि इन नोटों को छापने में जितने पैसों की बर्बादी हुई, उसका जिम्मेवार कौन होगा? इन नोटों को छापने में आम जनता की गाढ़ी कमाई के 20 हजार करोड़ रुपये लगे हैं. इन 20 हजार करोड़ रुपये की बर्बादी का जिम्मेवार कौन होगा? आखिर क्या कारण है कि पिछली बार नोटबंदी की तरह इस बार इसके फायदे क्यों नहीं गिनाये जा रहे हैं?