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रांची : जीवित्पुत्रिका, जितिया व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, निरोगी जीवन और खुशहाली के लिए करती है. यह व्रत भी छठ की तरह ही है. इस व्रत में भी माताएं निर्जला उपवास रखती है. विशेष रुप से यह व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखा जाता है. पंडित संजय पाठक के अनुसार इस वर्ष नहाय-खाय और ओठगन प्रात: चार बजे लेने के बाद से पूजा प्रक्रिया शुरू हो जाती है. अगले दिन निर्जला व्रत शुरू होगा.
व्रत को लेकर पंचांग एकमत नहीं
पंडित संजय पाठक बताते है कि हिंदू धर्म में व्रत-त्योहार का अपना एक अलग महत्व और मान्यता है. माताएं अपनी संतान की दीर्घ आयु और सुखमय जीवन के लिए रखती हैं. यदि आप छठ पूजा के बारे में जानते हैं, तो बता दें कि जीवित्पुत्रिका का व्रत भी छठ की तरह ही रखा जाता है. इस बार यह व्रत आज से शुरू हो गया है. इस बार जितिया व्रत की टाइमिंग को लेकर हिंदू पंचांग एकमत नहीं है. वनारसी पंचांग और मिथिला पंचांग में समय अलग-अलग दिए गए हैं.
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भविष्य पुराण में है व्रत का वर्णन
संजय पाठक बताते है कि इस व्रत का वर्णन भविष्य पुराण में भी किया गया है. महाभारत में जब द्रौपदी के पांचों पुत्रों को अश्वत्थामा ने मार दिया था तब उनकी जिंदगी के लिए धौम्य ऋषि ने इस व्रत के बारे में द्रौपदी को बताया था.