मुख्यमंत्री लघु एवं कुटीर उद्यम विकास बोर्ड से झारखंड के लोगों को मिल रहा है स्वरोजगार का मौका
न्यूज11 भारत
नई दिल्ली/रांची: भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले के झारखंड पवेलियन में बांसुरी और पारंपरिक बनम लोगों को अपनी ओर खींच रही है. कला मंदिर सक्षम एसएचजी फेडरेशन के स्टॉल पर इसकी बिक्री हो रही है. वायलिन की तरह ही बनम वाद्य यंत्र होता है. स्टॉल पर आने वाले लोगों को दुर्गा प्रसाद हंसदा बनम बजा कर लोगों को भी सीखा रहे हैं. दुर्गा प्रसाद के अनुसार बनम झारखंड का एक ऐसा वाद्य यंत्र है, जो प्रायः संथाल के आदिवासियों द्वारा बजाया जाता है. आदिवासियों में इसका धार्मिक महत्त्व भी है. माघ पूर्णिमा को बनम का विद्या की देवी के रूप में पूजा की जाती है. इसका निर्माण में लकड़ी, चमड़ा और घोड़े के बाल के इस्तेमाल होता है. इससे पारंपरिक और शास्त्रीय दोनों धुनें निकाली जा सकती हैं. मेले में छोटा बनम 1500 और बड़ा 2500 रुपए में बेची जा रही है. वहीं, झारखंड की बांसुरी 250 रुपए में बिक रही है.
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डोकरा आर्ट की मूर्तियां और सजावटी सामान भी उपलब्ध
झारखंड की कला डोकरा आर्ट, टेराकोटा के उत्पाद और पयतकर की पेंटिंग भी बिक्री के लिए स्टॉलों में उपलब्ध है. डोकरा आर्ट पारंपरिक तकनीक से ब्रास द्वारा बनाया जाता है. यह झारखंड के पूर्वी सिंहभूम में मल्होर खानाबदोशों और बेंध के राणाओं (ओबीसी)का सदियों पुराना रिवाज है. मेले में डोकरा आर्ट की मूर्तियां और सजावटी सामान की कीमत 450 से 3000 रुपए तक है. वहीं, टेराकोटा के उत्पादों की बात करें तो इसके नेकलेस, पानी की बोतल, हांडी आदि की बिक्री हो रही है.