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रांची/डेस्कः बिना लाइसेंस वाले विक्रेता की मौत मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने परिवार के सदस्यों को मुआवजा देने से साफ मना कर दिया. मामले में आज हाईकोर्ट के जस्टिस सुभाष चांद की कोर्ट में सुनवाई हुई. आपको बता दें, विक्रेता की मौत जसीडीह स्टेशन में काफी भीड़ और अचानक झटके की वजह से चलती ट्रेन से गिरकर मौत हो गई थी. मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि जिस विक्रेता की मौत ट्रेन गिरकर हुई थी वह सच्चा ट्रेन यात्री नहीं था. क्योंकि रेलवे प्रशासन की तरफ से जारी वैध टिकट और लाइसेंस के बगैर वह ट्रेन में लिट्टी-चटनी बेचने के लिए चढ़ रहा था.
मुआवजा के लिए पत्नी पार्वती ने हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका
आपको बता दें, यह पूरा मामला 3 मई 2014 का है जब मृतक रामदेव राउत (पत्नी- पार्वती देवी) की ट्रेन में चढ़ने के बाद उससे गिरकर मौत हो गई थी. वे ट्रेन में लिट्टी-चटनी बेचने का काम करते थे. उनकी मौत जसीडीह से झाझा जाने वाली ट्रेन में चढ़ने गिरकर हुई थी. जिसके बाद पत्नी पार्वती देवी ने कोर्ट में मुआवजा के लिए याचिका दायर की थी. कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि उनके पति ट्रेन खड़ी होने पर उसमें चढ़े थे. और जैसे ट्रेन स्टार्ट होकर चलने लगी. इस बीच जसीडीह स्टेशन पर अत्याधिक भीड़ और अचानक झटके की वजह से वे चलती ट्रेन से नीचे गिर गए. जिसके कारण उनकी मौके पर ही मौत हो गई.
याचिका में आगे लिखा गया है कि चलती ट्रेन से पति की मौत होने की वजह से उन्हें मुआवजा मिलना चाहिए. इस पर रेलवे की तरफ से मामले में यह दलील दी गई कि मृतक विक्रेता बगैर लाइसेंस और वैध परमिट के चलती ट्रेन में लिट्टी-चटनी बेच रहा था. और इस हादसे के वक्त मृतक व्यक्ति ट्रेन में वैध यात्री भी नहीं था. वहीं इस मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने पार्वती देवी की याचिका खारिज करते हुए मुआवजा देने से साफ मना कर दिया.