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नई दिल्ली : अपने पड़ोसी राज्य बिहार, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल की तुलना में झारखंड में मातृ व शिशु मृत्यु दर में गिरावट आई है और यह बहुत कम हुई है. इस बात की जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने लोकसभा में दी. उन्होंने बताया कि 16 योजनाओं व अभियान के जरिए मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाई गई है, जो अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. इस अभियान में सुरक्षित मातृत्व, आसवान जननी सुरक्षा योजना, जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, लक्ष्य, मासिक ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता अभियान सहित कई कार्यक्रम सामाजिक व सरकारी स्तर पर चलाए गए, ताकि इस दर को कम किया जा सके और उसमें हमें आशातीत सफलता भी मिली.
मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा आदिवासी क्षेत्रों में इस दर को कम किया जाए, इसके लिए बर्थ वेटिंग होम्स तैयार किए गए, ताकि आदिवासी समाज में बच्चों के जन्म के साथ उनके स्वास्थ्य का रखरखाव बेहतर तरीके से हो सके. इसके लिए कई स्थानों पर शिविर लगाए गए. इसके साथ ही ऐसे क्षेत्रों की नर्स को विशेष रूप से प्रशिक्षण दिया गया ताकि जच्चा-बच्चा दोनों के जीवन की रक्षा हो सके.
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उन्होंने कहा ऐसी योजनाओं के क्रियान्वयन व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का काम और बेहतर तरीके से हो, इसके लिए देश के सभी राज्यों को पर्याप्त मात्रा में धनराशि भी उपलब्ध कराई गई. वित्तीय वर्ष 2019-20 में झारखंड को 167 करोड़ रुपए की राशि दी गई, जबकि 2020-21 में 163 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की गई. इस तरह स्वास्थ्य संरक्षण के लिए झारखंड को लगभग 330 करोड़ मिले.