राज्य में तीन सेंट्रल गर्वमेंट अधीन प्लांट, मगर झारखंड को अधिक दर पर भी नहीं दे रहा है बिजली
न्यूज11 भारत, कौशल आनंद
रांचीः सिंगल इंजन की सरकार के साथ किस प्रकार का सौतला व्यवहार होता है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण झारखंड के कोयला और बिजली क्षेत्र में देखने को मिल रहा है. केंद्र सरकार के लाख दावे के बाजवूद देश में कोयले और बिजली की कोई कमी नहीं है, सभी राज्य को पर्याप्त मात्र में बिजली मिलेगी. यह कोरा झूठ साबित हो रहा है. झारखंड इन दिनों कोयले और बिजली को लेकर राजनीति का शिकार हो रही है. हालात इतने खराब हो गए हैं कि जेबीवीएनएल सबसे महंगे दर 12 से 15 रूपए प्रति यूनिट बिजली खरीद कर स्थिति को सामान्य करने का प्रयास कर रहा है. प्रतिदिन 4 से 5 करोड़ रूपए अतिरिक्त बिजली खरीदी पर खर्च करने को विवश है. गर्मी में बिजली खपत और मांग बहुत अधिक बढ़ गयी है. बिजली नहीं मिलने के कारण बिजली को लेकर हाहाकर मचा हुआ है.
राज्य में 400-500 मेगावाट तक की बिजली कमी
राज्य में औसतन 2100 मेगावाट बिजली की जरूरत होती है. मगर गर्मी में पीक ऑवर (सुबह 6 से 10 और शाम में 5 बजे से 10 बजे तक) में डिमांड बढ़कर 2400 से 2500 मेगावाट तक पहुंच जा रहा है. मगर अभी राज्य में केवल मुश्किल से 1800 से 1900 मेगावाट बिजली ही उपलब्ध हो रहा है. पीक ऑवर में स्थिति नियंत्रित करने के लिए सबसे ऊंचे दर पर नेशनल पॉवर एक्सचेंज से 12 से 15 रूपए यूनिट तक महंगी बिजली खरीदी जा रही है. यानि की हर दिन 4 से 5 करोड़ रूपए की अतिरिक्त बिजली खरीदी जा रही है.
ऐसे समझें कैसे हो रहा है झारखंड के साथ भेदभाव
- अंतर्राष्ट्रीय कारणों के कारण देश में इंपोर्ट होने वाली कोयला फिलहाल बंद सी हो गयी है. इसके कारण पूरी निर्भरता देश के कोयले पर टिक गयी है. अब कोल इंडिया सहित अन्य कोयला उत्पादन कपंनियां देश के अन्य पावर प्लांटों में कोयले की आपूर्ति कर रहा है.
- जेबीवीएनएल अफसरों के अनुसार देश के अन्य राज्यों में कोल इंडिया और सीसीएल कोयले की आपूर्ति तो करा है मगर झारखंड के लिए उत्पादन कर बिजली देने वाले कंपनियों को कोयले देने में आनकानी कर रहा है. टीवीएनएल इसका बड़ा उदाहरण है. सीसीएल को हर महीने 500 करोड़ का भुगतान होने के बावजूद टीवीएनएल को प्रतिदिन दो रेक कोयला नहीं मिल रहा है. जिससे टीवीएनएल का उत्पादन प्रभावित हो रहा है.
- अगर केवल रॉयल्टी की बात करें तो 3000 से 4000 हजार करोड़ रूपए कोयले के एवज में राज्य का रॉयल्टी बनता है, रॉयल्टी तो दूर कोयले की आपूर्ति भी सीसीएल और बीसीएल नहीं कर रहा है.
- टाटा जोराबेरा में 1000 मेगावाट का पावर प्लांट है. इससे 400 मेगावाट की बिजली की मांग का रही है मगर नहीं मिल रहा ळै. मैथन पावर प्लांट भी 1000 मेगावाट का प्लांट है. इससे भी जेबीवीएनएल कम से कम 400 मेगावाट बिजली की मांग कर रहा है. इसी तरह डीवीसी का सीटीपीएस और कर्णपूरा का 1000 का पावर प्लांट है मगर यह भी जेबीवीएनएल को बिजली नहीं दे रहा है. ये कंपनियां राज्य के बाहर बिजली भेज रहे हैं मगर झारखंड को बिजली नहीं दे रहे हैं. नॉर्थ कर्णपूरा पावर प्लांट 1800 मेगवाट का है, प्लांट काम पूरा हो चुका है इससे जेबीवएनएल को 800 मेगवाट बिजली मिलनी है मगर ट्रांसमिश नेटवर्क का बहाना बनाकर बिजली देने को तैयार नहीं है.
कहां-कहां से अभी मिल रही है जेबीवीएनएल को बिजली
- एनटीपीसी-490 मेगावाट
- डीवीसी-580 मेगावाट
- टीवीएनएल-350 मेगावाट
- आधुनिक पावर-190 मेगावाट
- इनलैंड पावर-55 मेगावाट
- सोलर पावर राजस्थान से-350 मेगावाट
- विंड पावर रात में -180 मेगावाट
- एनएचपीसी-40 मेगावाट
- पीटीसी हाईड्रो-40 से 50 मेगावाट
नोट : ये बिजली औसतन 4 से 5 रूपए प्रति यूनिट खरीदी हो रही है, मगर पीक ऑवर में अतिरिक्त बिजली 12 से 15 रूपए प्रति यूनिट बिजली खरीदनी पड़ रही है.