मुजतबा हैदर रिजवी/न्यूज11 भारत
जमशेदपुर/डेस्क: जमशेदपुर और सिंहभूम संसदीय सीटें सीएम चंपई सोरेन की नाक का सवाल बन गई है. इन दोनों जगह सीट निकालना मुख्यमंत्री की प्राथमिकता हो गई है. मुख्यमंत्री चंपई सोरेन कोल्हान से आते हैं. इसलिए झामुमो को जीत दिलाने का सारा दारोमदार उन पर है. इन दोनों सीटों पर टिकट देने में ज्यादा जोर मुख्यमंत्री चंपई सोरेन का ही चला है. मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने यह दोनों सीटें कांग्रेस से यह कह कर ली है कि इन सीटों पर अपने विधायकों के बल पर वह झामुमो को जीत दिलाएंगे. सिंहभूम संसदीय सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है. यहां से साल 2019 में कांग्रेस के टिकट पर ही गीता कोड़ा ने चुनाव जीता था. इसके पहले साल 2009 के चुनाव में गीता कोड़ा के पति मधु कोड़ा निर्दलीय चुनाव जीते थे. उसके पहले बागुन सुम्ब्रोई भी कई बार यहां से जीते थे. फिर भी यह सीट कांग्रेस से झामुमो ने यही कह कर ली कि इस क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ है. अपने विधायकों के बल पर वह यह सीटें निकाल लेंगे. जमशेदपुर संसदीय सीट की भी यही स्थिति है.
विधायकों के बूते चुनावी लड़ाई का दंभ
जमशेदपुर संसदीय सीट पर के तहत आने वाली घाटशिला, बहरागोड़ा, जुगसलाई और पोटका विधानसभा क्षेत्र में झामुमो के विधायक है. जमशेदपुर पश्चिम सीट पर कांग्रेस के बन्ना गुप्ता काबिज है. लेकिन एक तथ्य यह भी है कि साल 2019 के चुनाव में झामुमो ने चंपई सोरेन को जमशेदपुर संसदीय सीट से लड़ाया था और वह विद्युत वरण महतो से भारी अंतर से चुनाव हार गए थे. मुख्यमंत्री चुनाव का ऐलान होने के बाद जमशेदपुर संसदीय सीट पर कई मीटिंग कर चुके है. रविवार को ही उन्होंने सिदगोड़ा टाउन हॉल में झामुमो के कैडर को संबोधित किया और चुनाव जीतने का बिगुल बजाया. एक-एक कार्यकर्ता को चुनाव में जुट जाने को कहा.
कोल्हान में आसान नहीं झामुमो की चुनावी डगर
दोनों संसदीय सीट पर झामुमो को कड़ी चुनौती मिलने की बात कही जा रही है. सिंहभूम संसदीय सीट पर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गई गीता कोड़ा का खासा असर है. उनके पति मधु कोड़ा भी इस इलाके में काफी प्रभाव रखते हैं. यही हाल जमशेदपुर संसदीय सीट का है. जमशेदपुर संसदीय सीट पर भाजपा के उम्मीदवार कई बार जीत का परचम लहरा चुके है. पिछले दो चुनावों से लगातार भाजपा के ही सांसद विद्युत वरण महतो विजयी हो रहे है. ऐसे में मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के लिए दोनों सीटें झामुमो की झोली में डालना आसान नहीं होगा. राजनीतिक जानकारों की मानें तो यह बहुत बड़ी चुनौती है और इन दोनों सीटों पर झामुमो की डगर आसान नहीं है. अब देखना यह है की मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की सेना इस चुनावी युद्ध में कितना सफल हो पाती है.