न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह पर 23 अगस्त 2023 को सफल लैंडिंग कर पूरे विश्व में इतिहास रचा है. अब दुनियाभर की निगाहें इसरो के सूर्य मिशन यानी Aditya-L1 पर टिकी हुई हैं. चंद्रयान 3 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) एक बार फिर इतिहास रचने की दहलीज पर है. श्रीहरिकोटा के लॉन्चिंग सेंटर से आज 11.50 बजे आदित्य-L1 मिशन को इसरो ने लॉन्च किया. आदित्य एल-1 पृथ्वी और सूर्य के बीच की एक फीसदी दूरी तय करके अंतरिक्ष यान को L-1 पॉइंट पर पहुंचा देगा. साथ ही लॉन्चिंग के ठीक 127 दिन बाद यह अपने पॉइंट L1 तक पहुंच जाएगा. जिसके बाद Aditya-L1 बेहद अहम डेटा वैज्ञानिकों को भेजना शुरू कर देगा.
जानें, क्या है लैरेंज प्वाइंट जहां पहुंचेगा आदित्य-L1
आपको बता दें, लैरेंज प्वाइंट को शॉर्ट फॉर्म में L कहा जा रहा है. सूर्य मिशन यानी आदित्य-L1 को सूर्य के निकट स्थित इसी पाइंट पर पहुंचना है. गणितज्ञ जोसेफी-लुई लैरेंज के नाम पर दिया गया है. इन लैरेंज प्वाइंट्स को गणितज्ञ जोसेफी-लुई लैरेंज ने ही खोजा था. जब किसी दो घूमते हुए अंतरिक्षीय वस्तुओं के बीच ग्रैविटी का एक ऐसा प्वाइंट आता है, जहां पर कोई भी वस्तु या सैटेलाइट दोनों ग्रहों या तारों की गुरुत्वाकर्षण से बचा रहता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, आदित्य-L1 के मामले में यह धरती और सूरज दोनों की गुरुत्वाकर्षण शक्ति से बचा रहेगा.

धरती के चारों ओर 16 दिन चक्कर लगाएगा आदित्य-L1
इसरो ने कहा है कि आदित्य-L1 धरती के चारों तरफ 16 दिनों तक चक्कर लगाएगा. इस बीच 5 ऑर्बिट मैन्यूवर होंगे. ताकि उन्हें सही गति मिल सकें. इसके पश्चात आदित्य-L1 का ट्रांस-लैरेंजियन 1 इंसर्शन होगा. यहां से फिर उसकी 109 दिनों की यात्रा शुरू होगी. इसके बाद जैसे ही आदित्य-L1 पर पहुंचेगा. वह वहां पर एक ऑर्बिट मैन्यूवर करेगा. ताकि L1 प्वाइंट के चारों तरफ चक्कर लगा सकें.
आदित्य-L1 में लगे हैं 6 पैलोड्स, जानिए कौन क्या करेगा
- Aditya L1: सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलिस्कोप (SUIT): सूर्य के फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर इमेजिंग करेगा. यानी नैरो और ब्रॉडबैंड इमेजिंग होगी.
- सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS): सूर्य को बतौर तारा मानकर वहां से निकलने वाली सॉफ्ट एक्स-रे किरणों की स्टडी करेगा.
- आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX): यह सूर्य की हवाओं, प्रोटोन्स और भारी आयन के दिशाओं और उनकी स्टडी करेगा.
- हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS): यह एक हार्ड एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर है. यह हार्ड एक्स-रे किरणों की स्टडी करेगा.
- एडवांस्ड ट्राई-एक्सियल हाई रेजोल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर्स: यह सूर्य के चारों तरफ मैग्नेटिक फील्ड की स्टडी करेगा.
- प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (PAPA): यह सूर्य की हवाओं में मौजूद इलेक्ट्रॉन्स और भारी आयन की दिशाओं और उनकी स्टडी करेगा.
लॉन्चिंग के 109 दिन बाद सूर्य को 'Halo' कहेगा आदित्य-L1
आज 11.50 बजे आदित्य-L1 मिशन को इसरो ने लॉन्च किया वहीं, लॉन्चिंग के बाद 15 लाख किलोमीटर की यात्रा आदित्य-एल1 तय करेगा. इसरो ने बताया है कि यह चांद की दूरी से करीब 4 गुना अधिक है. लॉन्चिंग के लिए PSLV-XL रॉकेट इस्तेमाल किया गया है. जिसका नंबर PSLV-C57 है. अपनी यात्रा की शुरुआत आदित्य-L1 लोअर अर्थ ऑर्बिट से करेगा. उसके बाद यह धरती की गुरुत्वाकर्षण वाले क्षेत्र यानी स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस से बाहर जाएगा. यह थोड़ी लंबी चलेगी. इसके बाद इसे हैलो ऑर्बिट में डाला जाएगा. जहां L1 प्वाइंट होता है. बता दें, यह प्वाइंट सूर्य और पृथ्वी के बीच में स्थित होता है. लेकिन सूर्य से पृथ्वी की दूरी की तुलना में मात्र 1 प्रतिशत है. इसे 109 दिन इस यात्रा में लगने वाले हैं.