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रांची: झारखंड में मनरेगा योजनाओं में लगातार गड़बड़ियां सामने आ रही है. ग्रामीण विकास विभाग की समीक्षा में पाया गया है कि 279 मनरेगा योजनाओं में किसी प्रकार का कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ है. इन योजनाओं में सिर्फ सामग्रियों की खारीदारी हुई है. खरीदारी के नाम पर करोड़ों रुपए का भुगतान विभिन्न एजेंसियों को किया गया है. फिजुल खर्जी ठहराते हुए विभाग अब इन योजनाओं में खर्च के नाम पर भुगतान की गई राशि की वसूली करेगा.
ग्रामीण विकास विभाग के मनरेगा सॉफ्टवेयर से कई योजनाओं को भी हटाने का निर्णय लिया है. यह ऐसी योजनाएं है, जो स्वीकृत हुई, मगर इन योजनाओं पर काम शुरू नहीं हुआ. समीक्षा के दौरान ऐसी 1.57 लाख योजनाएं मिली है, जिनपर काम शुरू नहीं हुआ है. इन योजनाओं को मनरेगा सॉफ्टवेयर से हटाने का आदेश अफसरों को दिया गया है.
राजधानी और उपराजधानी में भी मनरेगा योजनाओं की स्थिति बेहतर नहीं
झारखंड की राजधानी रांची और उपराजधानी दुमका में मनरेगा योजनाओं की स्थिति बेहतर नहीं है. हजारों योजनाएं स्वीकृत हुई, मगर काम शुरू नहीं हुआ. योजनाओं पर खर्च भी नहीं हो रहा है. ऐसी योजनाएं दुमका जिले में सबसे ज्यादा है. यहां 16,090 योजनाएं ऐसी हैं, जिन पर एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ है. वहीं राजधानी रांची में 5985 योजनाएं ऐसी मिली है. प्रदेश में दूसरे नंबर पर पलामू है, यहां 12,269 योजनाओं पर एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ है.
कहां कितना हुआ खर्च
- जिला- योजना
- पलामू -12269
- गिरिडीह - 10500
- गढ़वा - 15085
- देवघर - 12218
- पं. सिंहभूम - 12633
- रांची - 5985
- बोकारो - 7402
- चतरा - 3770
- जिला योजना
- पूं. सिंहभूम - 3915
- दुमका - 16090
- सरायकेला - 5640
- साहेबगंज - 9754
- गुमला - 3119
- लातेहार - 5357
- हजारीबाग - 4841
- सिमडेगा - 3772
- जामताड़ा - 4806
- गोड्डा - 3948
- धनबाद - 6244
- पाकुड़ - 810
- खूंटी - 810
- रामगढ़ - 1926
- लोहरदगा - 1746
- कोडरमा - 2954